लोकोत्तर पर्व में सबसे उत्तम पर्व है संवत्सरी : शीतल मुनि

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RO No.12822/158

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दुर्ग । जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग में सामाजिक स्वाध्याय के प्रबल प्रेरक गुरुदेव श्री शीतल मुनि के सानिध्य में 12 से 19 सितंबर तक पर्यूषण पर्व की आराधना ज्ञान ध्यान त्याग तपस्या एवं धर्म आराधना के साथ संपन्न हुई। संध्या 6:00 बजे जैन समाज के लोगों के द्वारा संवत्सरी पर्व की आराधना करने 84 लाख जीवा योनियों से क्षमायाचना के साथ प्रतिक्रमण कर संसार के सभी जीवों से क्षमा याचना की। 
जैन समाज के पुरुषों का प्रतिक्रमण जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में तथा महिलाओं का प्रतिक्रमण वर्तमान जैन भवन गवली पारा दुर्ग में सम्पन्न हुआ।
जय आनंद मधुकर रतन भवन बांदा तालाब दुर्ग की धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव शीतल मुनि ने कहा लोकोत्तर पर्व में संवत्सरी  पर्व सबसे उत्कृष्ट पर्व है मन की आंतरिक सफाई का यह यह महान पर्व है। 
जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिस धर्म में क्षमा को प्रधानता दी गई है। क्षमा मांगना और क्षमता देने का समता भाव रखने का मार्ग दिखाता है। गुरुदेव ने कहा जिस भी हमारा राग द्वेष है उन सभी से हमें यह पर्व क्षमा मांगना सीखता हे 

जैन सिद्धांत हमें सिखाता है स्वयं पर विजय प्राप्त करना पहले आप स्वयं सुधरे फिर दूसरे की सुधारने का प्रयास करें जैन दर्शन में विनय का बड़ा महत्व है। क्षमा नम्रता सरलता का परिचय देते हुए आत्मा के कल्याण के लिए सामयिक एवं स्वाध्याय का की आराधना अति आवश्यक है। क्रोध मान माया लोभ यह सभी आत्मा को दुर्गति के मार्ग पर ले जाती है और उसे डूबाने का कार्य करती है।
-स्वाध्याय सेवा देने वाले साधकों ने सिखाया धर्म आराधना का मार्ग-
इंदौर से आए स्वाध्यायी साथी शिखर चंद छाजेड़, ने पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समाज के सदस्यों को धर्म संस्कार से जोड़ने का प्रयास किया छोटी-छोटी बातों से धर्म के साथ जुड़कर समता भाव से जीवन को विनम्रता के साथ जीने की शिक्षा दी। आगम के छोटे-छोटे उदाहरण से जीवन को संस्कारवान बनाने का मूल मंत्र दिया। 

-जय आनंद एवं जय जाप का समापन-
एक हफ्ते से चल रहे जय जाप, आनंद गुरवे नमः एवं शीतल चालीसा पाठ का हर्ष और उल्लास के वातावरण में भाव भक्ति के साथ समापन हुआ।
आज की धर्म सभा को श्रमण संघ के अध्यक्ष धर्मचंद लोढ़ा, प्रवीण बम,अशोक मोदी बबीता चौरडिया सुनील बेगानी ने भी धर्म सभा में अपनी भाव व्यक्त किया।