"कही देबे संदेश" से लेकर "मोर बाई हाई फाई" तक..
रायपुर। छत्तीसगढ़ के फिल्म उद्योग में एक नया ट्रेंड उभर रहा है, छत्तीसगढ़ी फिल्मों के नाम अब कुछ दूसरे किस्म के रखे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ की फिल्मों के प्रशंसकों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ी फिल्में अब भोजपुरी फिल्मों की नकल कर रही हैं। यद्यपि भोजपुरी फिल्मों का बजट छत्तीसगढ़ी फिल्म से कई गुना ज्यादा है।
मनु नायक ने "कही देबे संदेश" नाम से पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म 1965 में बनाई थी। "कही देने संदेश" एक सुंदर नाम वाली बेहतरीन फिल्म थी। इस फिल्म में मोहम्मद रफी ने भी आवाज दी थी। वे गाने आज भी सुने जाते हैं। राज्य निर्माण के दौरान रिलीज हुए छैंहा भूइंहा ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। इस फिल्म के हीरो अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ के पहले सुपर स्टार माने गए, 40 फिल्मों में काम करने के बाद आज छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय विधायक हैं। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद उपजे नई चेतना का यह सुनहरा बिम्ब है।
बहरहाल, यहां बात हो रही है छत्तीसगढ़ी फिल्मों के नामों के नए ट्रेंड का। "हंस झन पगली फंस जबें, भकला, माया" जैसे नाम रखे जा रहे हैं।
भोजपुरी फिल्मों ने अपनी संस्कृति और भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए अपनी विशेष पहचान बनाई है, लेकिन इसके साथ ही कुछ भोजपुरी फिल्में अश्लीलता का पर्याय बन गई हैं।
इस नए ट्रेंड के चलते, छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग को ध्यान में रखते हुए इसे एक संतुलित राह पर ले जाने की जरूरत है। फिल्म निर्माताओं को उचित मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने के लिए भी समय आ गया है।
इसी बीच, भोजपुरी फिल्मों में कई बड़े कलाकार ने अपनी पहचान बनाई है और बॉलीवुड में भी सफलता प्राप्त की है। यह दिखाता है कि अगर उद्योग में संतुलन बनाए रखा जाए, तो नए और उच्च स्तरीय फिल्में उत्पन्न की जा सकती है।