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राष्ट्रपति मुर्मू ने मनु, गुकेश, हरमनप्रीत और प्रवीण को खेल रत्न पुरस्कार से किया सम्मानित

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नई दिल्ली । विश्व शतरंज चैंपियन गुकेश डी और पेरिस ओलंपिक और पैरालंपिक पदक विजेता - मनु भाकर (निशानेबाजी), हरमनप्रीत सिंह (हॉकी) और प्रवीण कुमार (पैरा-एथलीट) को शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में विशेष रूप से आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला।
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हर साल खेलों में उत्कृष्टता को मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिए दिए जाते हैं। मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार पिछले चार वर्षों की अवधि में किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है।
सिंगापुर में खिताबी मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को पछाड़कर गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बन गए। मनु 10 मीटर एयर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में दोहरे कांस्य पदक जीतकर पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों के एक ही संस्करण में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गईं।
दूसरी ओर, हरमनप्रीत ने भारत को पुरुष हॉकी में लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक दिलाया, जबकि प्रवीण ने पैरालंपिक में ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वाले बत्तीस एथलीटों में 17 पैरा-एथलीट शामिल हैं। सूची में ज्योति याराजी, अन्नू रानी, नीटू, स्वीटी, वंतिका अग्रवाल, सलीमा टेटे, अभिषेक, संजय, जरमनप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह, राकेश कुमार, प्रीति पाल, जीवनजी दीप्ति, अजीत सिंह, सचिन सरजेराव खिलारी, धरमबीर, प्रणव सूरमा, एच होकाटो सेमा, सिमरन, नवदीप, नितेश कुमार, थुलासिमथी मुरुगेसन, निथ्या श्री सुमति सिवान, मनीषा रामदास, कपिल परमार, मोना अग्रवाल, रूबीना फ्रांसिस, स्वप्निल सुरेश कुसले, सरबजोत सिंह, अभय सिंह, साजन प्रकाश और अमन शामिल हैं।

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अर्जुन पुरस्कार पिछले चार वर्षों की अवधि में खेल और खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन और नेतृत्व, खेल कौशल और अनुशासन की भावना के गुण दिखाने के लिए दिया जाता है।
पूर्व साइकिल चालक सुच्चा सिंह और पूर्व पैरा-तैराक मुरलीकांत राजाराम पेटकर को अर्जुन पुरस्कार (लाइफटाइम) दिया गया। यह पुरस्कार उन खिलाडिय़ों को सम्मानित करने और प्रेरित करने के लिए दिया जाता है, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से खेलों में योगदान दिया है और सक्रिय खेल करियर से संन्यास लेने के बाद भी खेलों को बढ़ावा देने में योगदान देना जारी रखा है। मुरलीकांत राजाराम पेटकर ने 1972 में जर्मनी के हीडलबर्ग में पैरालंपिक खेलों में इतिहास रच दिया था, जब उन्होंने पुरुषों की 50 मीटर फ्रीस्टाइल 3 प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के लिए विश्व रिकॉर्ड में दो बार सुधार किया था।
सुभाष राणा (पैरा-शूटर), दीपाली देशपांडे (शूटिंग) और संदीप सांगवान (हॉकी) को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला, जबकि एस मुरलीधरन (बैडमिंटन) और अरमांडो एग्नेलो कोलासो (फुटबॉल) को आजीवन श्रेणी में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। द्रोणाचार्य पुरस्कार कोचों को लगातार उत्कृष्ट और सराहनीय कार्य करने और खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम बनाने के लिए दिया जाता है।
फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, (पीबी) और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय के रूप में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (एमएकेए) ट्रॉफी से सम्मानित किया गया।

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