IND vs AFG T20 Playing 11: अफगानिस्तान के स्पिनर्स और भारतीय बल्लेबाजों के बीच होगी जोरदार टक्कर, ऐसी हो सकती है प्लेइंग XI

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दक्षिणापथ, दुर्ग। छत्रपति शिवाजी स्मारक समिति दमोदा दुर्ग के सदस्यों ने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई जयंती प र उनके शौर्य भूमि केंद्र स्थल झांसी का किला दर्शन कर लौटे। समिति के संजोयक संजय देशमुख ने इस भ्रमण का अनुभव साझा करते हुए बताया कि अंतरात्मा से प्रेरित होकर गत 19 नवम्बर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर उनकी शौर्य भूमि व सन 1857 की क्रांति के केंद्र स्थल झांसी का किला दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जहां रानी लक्ष्मीबाई जी की जीवन शैली, राजकीय, सामरिक व धार्मिक शैली से गाइड के माध्यम से साक्षात्कार किए। किले में आज भी विद्यमान गणेश मन्दिर, शिवालय, तुलसी चौरा, रंग महल, सभाग्रह, प्रशासनिक भवन फांसी घर, तोपे व अन्य हथियारों का भी दर्शन दल द्वारा किया गया।

सबसे विशेष रानी जी के अति विश्वसनीय रहे तोपची खुदा बक्श और जनाब गौस खान, जिसमें खान के मकबरा का भी दर्शन व श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। देश के लिए किए गए बलिदान व देश प्रेम जागृत करने हेतु रानी जी सहित इन सभी का कृतज्ञता व्यक्त किया गया। छत्रपति शिवाजी स्मारक समिति, दमोदा दुर्ग द्वारा जन-जन में मातृभाषा, मातृभूमि व मां की महत्ता की अखण्ड ज्योति जलती रहे इस हेतु किले में विद्यमान सभी धार्मिक स्थलों की मिट्टी संग्रहित कर दुर्ग ससम्मान लाया गया हैं। ताकि हमारे समिति द्वारा भविष्य में स्थापित संग्रहालय में विराजित कर सके।

उपरोक्त ऐतिहासिक कार्य संपन्न करने से पूर्व सर्व प्रथम दतिया में विराजित मां पीताम्बरा व मां धूमावती जी के दर्शन व आराधना तत्पश्चात ओरछा में विराजित राजा राम मंदिर राम जानकी व लक्ष्मण जी का दर्शन व आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया। यात्रा दल में भगवान हनुमान जी के साधक बिहारी सोनी, द्वारिका साहू, मन्नू लाल यदु, बैकुंठ सोनी समिति के उपाध्यक्ष हेमन्त देशमुख तथा जसपाल साहू थे।