बदलते छत्तीसगढ़ की राजनीतिक चेतना किस दिशा में;  रोजगार क्यों नही बना चुनावी मुद्दा

बदलते छत्तीसगढ़ की राजनीतिक चेतना किस दिशा में;  रोजगार क्यों नही बना चुनावी मुद्दा
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दुर्ग। इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा नहीं बना। वैसे भी देश का बेरोजगार युवक अब समझने लगा है कि रोजगार के तौर पर सबको सरकारी नौकरी कोई भी सरकार नही दे सकती। लेकिन अवसर जरूर उपलब्ध करा सकती है। 
इन 24 सालों में छत्तीसगढ़ के मूल लोगो को राज्य बनने का लाभ मिला है। नौकरी, व्यापार, कृषि, प्राकृतिक संसाधन में राज्य का मुनाफा बढ़ा है। यद्यपि महंगाई बढ़ी, पर समृद्धि भी दिखी। 
 इसलिए, इस चुनाव में छत्तीसगढ़ के 11 सीटों में  बेरोजगारी बड़ा मुद्दा नहीं बना। छत्तीसगढ़ ने देश भर के लोगो को रोजगार का अवसर दिया है। सरगुजा से लेकर बस्तर तक अन्यत्र राज्यो के लोग यहां आसरा लिए। अधिकांश बड़े व्यवसायों में इन्ही का कब्जा भी हो गया। इसके बावजूद मूल छत्तीसगढ़ियों ने सरकारी क्षेत्र में अपनी ग्रोथ बढ़ाई। फिर भी कांग्रेस के साढ़े 30 लाख सरकारी पदों में भर्ती के वादे  पर यहां के मतदाताओं ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। खासकर छत्तीसगढ़ के पढ़ें लिखे ऐसे युवा मतदाता जो नौकरी की प्रत्याशा में मेहनत कर रहे है, उन्हें भी बेरोजगारी बड़ा मसला नहीं लगा। छत्तीसगढ़ में तो इस उम्र वर्ग के युवा महिला–पुरुष भूपेश सरकार की बेरोजगारी भत्ता योजना का ढाई हजार रुपया महीना लाभ ले रहा है। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने भूपेश की कई योजनाओं को बंद कर दिया। मगर बेरोजगारी भत्ता बंद नही किया है। केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद भले ही यह बंद हो जाए।  
 बहरहाल, यह 2024 का चुनाव है, और छत्तीसगढ़ को राज्य बने भी 24 साल हो रहे है। इन 24 सालों में मूल छत्तीसगढ़िया समाज ने अच्छी सामाजिक प्रगति की। राजनीति व प्रशासन के सर्वोच्च पदों तक ज्यादा संख्या में पहुंचे हैं। छत्तीसगढ़ियों के हाथ में सत्ता सूत्र आने का फायदा स्थानीय बाशिंदों तक पहुंचा है।
 दुर्ग– भिलाई की लगभग 100 किलोमीटर की परिधि को बीएसपी ने बदला है। भिलाई का असर दुर्ग लोकसभा के अलावा रायपुर, राजनांदगांव, बालोद, बेमेतरा तक सीधा है। यहां के जागरूक मतदाताओं के जनादेश का असर पूरे राज्य पर पड़ता है।
इसके बावजूद यह भी सत्य है, हमारे असली मुद्दे कहीं और है। राज्य बनने के इन 24 सालो में छत्तीसगढ़ ने
इंफ्रास्ट्रक्चर , रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ, सड़क जैसे मसलों पर अच्छी पहचान बनाई। आजादी के 53 साल बाद छत्तीसगढ़ राज्य बना। भिलाई के साथ कोरबा, रायपुर, रायगढ़, बस्तर सहित अन्य इलाकों में औद्योगिक विकास हुआ।
 लोकसभा चुनाव के 11 सीट के नतीजे बताएंगे कि छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीतिक चेतना किस दिशा में बह रही है। 
हार जीत के इतर क्षेत्रवार वोट आफ पर्सेंट का विश्लेषण इसके कई संकेत देते हैं। 
राष्ट्रीय पार्टियों के थिंक टैंक इन्ही आधारों पर आगे की रणनीति बनाते हैं।