लोकसभा चुनाव: डीएमएफ के भ्रष्टाचार ने रंग उड़ाया नेताओं और ठेकेदारों का भाजपा में शामिल हुए ठेकेदार चिंतित

लोकसभा चुनाव: डीएमएफ के भ्रष्टाचार ने रंग उड़ाया नेताओं और ठेकेदारों का भाजपा में शामिल हुए ठेकेदार चिंतित

कोरबा । लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण में कोरबा संसदीय सीट पर 7 मई को मतदान है। 4 जून को नतीजे घोषित होंगे और उसी दिन तय हो जाएगा कि मतदाताओं ने लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में करने के लिए भाजपा को मौका दिया या कांग्रेस को। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता और देश में बने माहौल को देखते हुए जिले में बड़ी संख्या में ठेकेदार वर्ग भाजपा में शामिल हुआ है जो पहले कांग्रेस में हुआ करता था। उन्हें लेकर अब अटकलें लगाई जा रही है कि भाजपा की जीत हुई तो ठीक। अन्य स्थिति में उनका क्या होगा। कोरबा सीट पर लोकसभा चुनाव में कई मुद्दों के बीच जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला भी छाया हुआ है। इसके कारण कई लोगों की चिंता बढ़ी हुई है। राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में हर चुनाव में कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं और समय के साथ कामकाजी लोग अपने आपको उसके अनुकूल बनाने की कोशिश किया करता है। छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के अवसान और भाजपा के उदय के साथ अब नई बयार शुरू हुई है। नए दौर में कर्मचारियों से लेकर ठेकेदार और एनजीओ चलाने वाले के साथ-साथ राजनीति से जुड़े लोग अपने सुनहरे भविष्य को लेकर गंभीरता दिखा रहे हैं, यह स्वाभाविक है। कारण है कि 5 साल का समय बिताना जो है। विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार के बनने और कोरबा से लखनलाल देवांगन के मंत्री बनने के कारण अब अनुकूलताएं हैं। इन सबके बीच लोकसभा चुनाव हो रहा है। ऐसी स्थिति में बहुत बड़े वर्ग को भाजपा के साथ जाना बेहतर लगा। इसमें विभिन्न दलों के लिए काम करने वालों के साथ-साथ काफी संख्या में ठेकेदार भी हैं जिन्होंने बीते दिनों में सैद्धांतिक कारण बताते हुए पुरानी पार्टी को अलविदा कह दिया और भाजपा का हिस्सा बन गए। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कोरबा सीट से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय को प्रत्याशी बनाया है जिसका मुकाबला कांग्रेस की ज्योत्सना महंत से हो रहा है जो वर्तमान में सांसद हैं। भाजपा संगठन भले ही कोरबा की लड़ाई को आसान बता रही है लेकिन ऐसा है नहीं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा खुद इस बात को स्वीकार किया गया कि लड़ाई कठिन है और काम की जरूरत है। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी प्रतिष्ठा बचाने के लिए कोशिश जारी रखी है। इन सबसे अलग बदली तस्वीर में भाजपा ज्वाइन करने वाला ठेकेदार समूह अच्छे दिन के सपने देख भी रहा है और वह इस सोच में भी पड़ा है कि अगर परिणाम कुछ और हुए तो फिर क्या होगा। जानकारों ने बताया कि उनके पास जो सूचनाएं हैं उसके मुताबिक अगले पांच साल तक भाजपा सरकार के रहते विभिन्न विभागों में दाल नहीं गलने के कारण ही कांग्रेस के लिए लंबे समय से काम करने वाले ठेकेदारों ने आनन-फानन में भाजपा ज्वाइन की है। उन्हें लग रहा है कि केवल इतना कर लेने मात्र से वे आगे की लाइन बनाने में सफल हो जाएंगे। उनकी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा है कि जो लोग भाजपा से सीधे लंबे समय से जुड़े हैं संगठन पहले उनकी चिंता करेगा। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में जिस तरह से अंदरखाने राजनीति हो रही है और लगातार स्थितियां बदल रही है उससे अचानक बदले ठेकेदार पशोपश में हैं। उन्हें डर सता रहा है कि अगर परिस्थितियां इसके उल्टे होती है तो फिर उनका क्या होगा। बाजार में यह भी सुनने को मिल रहा है कि नवागत भाजपाईयों ने अपने आपको साबित करने के लिए सोशल मीडिया तक ही सक्रियता बनाए रखी है। मैदान में उनकी उपस्थिति नजर नहीं आ रही है। वजह यह है कि जो लोग इन ठेकेदारों को भलीभांति जानते रहे हैं, उनसे सामना कैसे किया जाए और अपना नया परिचय देने के साथ विश्वसनियता बनाने का संकट भी है। कोरबा जिले में जिला खनिज न्यास मद से पिछले वर्षों में हुए हजारों करोड़ के कामकाज और इनके धरातल पर मौजूदगी के मसले सवाल खड़ा करते रहे हैं। आईएएस रानू साहू से लेकर कई लोगों के जेल जाने की पटकथा इससे जुड़ी हुई है। रह-रहकर डीएमफ में भ्रष्टाचार का जिन्न नेताओं से लेकर अधिकारियों को परेशान कर रहा है। ये काम ठेकेदारों के द्वारा ही कराए गए हैं ऐसे में अगर आने वाले समय में इनकी जांच होती है तो एक नई मुसीबत का खड़ा होना स्वाभाविक है। इन कारणों से भी ठेकेदारों में डर बना हुआ है।