संविधान का यह कैसा सम्मान!!?

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RO.NO. 12945/82

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दुर्ग। भारत के संविधान पुस्तिका को हाथ में लेकर प्रदर्शन दिल्ली से लेकर भिलाई तक चल रहा है। कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी कई बार अपने हाथ में भारत की संविधान की पुस्तिका दिखाते दिखे। भिलाई नगर के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के भी हाथ में बलौदाबाजार हिंसा मामले में गिरफ्तारी के वक्त भारतीय संविधान की वैसी ही पुस्तिका थी। कांग्रेस पार्टी के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी पिछली सरकार में मोदी सरकार पर संविधान के हनन का आरोप अक्सर लगाते रहे है। इसके जरिए राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस लोगो को बताना चाहती है कि भाजपा के राज में लोकतंत्र सुरक्षित नहीं है। ऐसा आरोप राहुल गांधी अपने विदेशी दौरों पर भी लगा चुके है।।
   सियासत की इस लड़ाई में विरोधी दल के नेता को जेल भेजने पर ऐसा आरोप लगाया जाता है। इसके बावजूद उस नेता के समग्र सेहत पर इसका खास असर नहीं पड़ता।  जनता में भी कोई खास संदेश नही जाता। चुनावी दल के लोगो के अलावा मीडिया के लोग इन घटनाओं को याद रखते है। वोट डालने के वक्त आम जनता ऐसी घटनाओं को तवज्जो नहीं देती। क्योंकि पूरे देश में राजनीतिक गिरफ्तारियां इमरजेंसी के वक्त से आम बात हो गई है। इसीलिए भारत के लोकतंत्र का स्थान दुनिया के 179 लोकतांत्रिक  देशों में 104 वें नंबर पर है। डेमोक्रेसी (V-DEM) रिसर्च इंस्टिट्यूट की यह रिपोर्ट है। 
बहरहाल, भिलाई की घटना पर नजर डालें , तो देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के वक्त प्रदेश कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष  दीपक बैज को छोड़ कोई बड़ा नेता मौके पर नही पहुंचा। जबकि पूर्व cm भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, रविंद्र चौबे, गुरु रूद्रकुमार यही आस पास थे।  दूसरे दिन इन्ही नेताओं ने रायपुर में प्रेस कान्फ्रेस कर अपने विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी का विरोध किया, और भाजपा सरकार पर लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया। 
राजनीति में विरोध के नए नए पैंतरे चलते रहते हैं। बाबा साहेब अम्बेडकर को हम लोगो ने साक्षात नही देखा, पर जब भी उनकी तस्वीर देखी, उसमे वे संविधान की किताब बड़े सम्मान और गर्व से पकड़े दिखते हैं।
आज संविधान की उसी पुस्तिका का प्रदर्शन आरोपी बनाए गए नेता करने लगे हैं । हिंसा या भ्रष्ट्राचार के आरोप में  गिरफ्तारी के वक्त नेता भारत की महान संविधान की दुहाई क्यों देते हैं, जनता यह समझ नही पाती है। संविधान की प्रति ये नेता तब दिखाते है, जब उसी संविधान के तहत उन पर कारवाई की जा रही होती है। 
बाबा साहब ने कहा था, यदि यह संविधान भारत में कभी फेल खा जाता है तो वह संविधान की गलती नही, बल्कि उसे चलाने वाले की गलती होगी। 
जैसे बांग्लादेश में अराजकता आई, पाकिस्तान और श्रीलंका की लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में पड़ते रहता है, कुछ लोग भारत में भी यह प्रयास करते हैं। सत्ता पाने के फेर में लोकतंत्र के प्रति आम जनता के मन में संविधान के प्रति आक्रोश पैदा करने का प्रयास देश के साथ वफादारी नही है।