भू राजस्व संहिता में किया गया संशोधन किसानों को गुमराह एवम भ्रमित करने वाला: कमलेश सिंह राजपूत

भू राजस्व संहिता में किया गया संशोधन किसानों को गुमराह एवम भ्रमित करने वाला: कमलेश सिंह राजपूत
RO.NO. 12945/82

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दुर्ग। भू राजस्व संहिता में किया गया संशोधन किसानों को गुमराह एवम भ्रमित करने वाले हैं।
छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता 1959की धारा115  में जल्दबाजी किए गए संशोधन से किसानों की दिक्कत कम होने की बजाए और बढ़ेगी। उक्त बाते छ्तीस गढ़ किसान मितान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एवम कोषाधक्ष कमलेश सिंह राजपूत और अमरीश परगनिहा ने सयुक्त विज्ञप्ति जारी कर कही है। उन्होंने कहा कि जो अधिकार पूर्व में तहसीलदारों के पास था उसमे शासन द्वारा संशोधन करते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को धारा115 का अधिकार  दे दिया गया था जिसका चौतरफा विरोध होने से एक बार फिर किसानों को विश्वास में लिए बैगर राज्य सरकार द्वारा भू राजस्व संहिता 1959की धारा 115 में आंशिक संशोधन करते हुए छत्तीसगढ़ राजपत्र दिनांक 19जुलाई 2024को पुनः धारा 115 के अधीन तहसीलदारों को , भूमिस्वामी उसके पिता ,पति के नाम, उपनाम जाति में लिपिकीय त्रुटि सुधार एवम कैफियत कालम में की गई त्रुटिपूर्ण प्रविष्टि में सुधार त्रुटि वश जोड़े गए खसरों को पृथक करना, भूमि के सिंचित असिंचित होने संबंधी होने संबंधी प्रविष्टियों में सुधार करना, भूमि के एक पहली बहुफसली की प्रविष्टि में त्रुटि सुधार करना से संबंधित अधिकार दिया गया है। इस संशोधन में किसी सह खातेदार का नाम छूट जाए तो जोड़ने के संबंध में कहीं कोई प्रावधान नहीं किया गया है। खसरा नंबर , रकबा, नक्शा बटाकन आदि में त्रुटि के लिए आवेदन अनुविभागीय अधिकारी को पूर्व की भांति दिया जाना होगा। जिसकी प्रक्रिया काफी जटिल और खर्चीली के साथ अनावश्यक समय की बरबादी है जो आम कृषक की हित में नहीं है। राज्य सरकार को ऐसे निर्णय लेने के पहले किसानों के विषय में अवश्य विचार करना चाहिए। छत्तीसगढ़ किसान मितान महासंघ के द्वारा शासन प्रशासन से व्यवहारिक निर्णय लेते हुए  अभिलेख शुद्धिकरण पर  अभियान चलाए जाने का अनुरोध करता है और  इस क्रम में कल रविवार  21जुलाई को ग्राम कोटा तहसील भिंभौरी जिला बेमेतरा में छत्तीसगढ़ किसान मितान महासंघ के द्वारा राजस्व अभिलेख शुद्धिकरण अभियान रखा गया है। जिसमे उस क्षेत्र के किसान अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहेंगे।