स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है सिंहपर्णी, ये हैं इसके फायदे

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दुर्ग. लॉकडाउन के आठवें दिन दुर्ग विधायक अरुण वोरा ने इसे जनता व शासन के सामूहिक प्रयत्नों का नतीजा बताया जिससे अब तक कोरोना ने शहर में अपने पैर नहीं पसारे हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन व आम जनों के सही तालमेल से ही इस लॉकडाउन का प्रयोजन सफल हो सकता है और वायरस की रोकथाम की जा सकती है। जिस तरह लोगों का घरों से ना निकलना उनकी जिम्मेदारी है वैसे ही साफ सफाई, सेनेटाइजिंग व खाद्य पदार्थों एवं जरूरी सामानों की आपूर्ति के लिए शासन पूरी तरह संकल्पित है। उन्होंने लोगों से पुनः घरों पर ही रहने की अपील की। गौरतलब है कि कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट व लॉकडाउन ने आम लोगों के साथ ही जनप्रतिनिधियों के जीवनचर्या में भी व्यापक बदलाव लाया है। दुर्ग विधायक अरुण वोरा आम तौर पर पूरे समय सक्रिय रहने और शहर में हर जगह हर समस्या पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए जाने जाते हैं किन्तु लॉकडाउन की अनिवार्यता के मद्देनजर उन्होंने भी सोशल डिस्टनसिंग का ध्यान रखते हुए अपनी कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन किया है। उनकी दिनचर्या के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सुबह जल्दी उठ कर स्नान ध्यान, पूजापाठ के पश्चात ई-पेपर देखना, समाचार चैनलों के माध्यम से शहर, राज्य और देश की खबरें जानने के बाद वे अपने कार्यालय में अभी भी उपलब्ध रहते हैं। साफ सफाई, सेनेटाइजशन करवाने की बात हो, खाने पीने की सामग्री की समस्या हो, आर्थिक संकट या फिर अति आवश्यक कार्यों के लिए आवागमन की अनुमति दिलवाना श्री वोरा हर नागरिक की हर संभव मदद शासन स्तर पर करवाने बात कर उनकी समस्या का निराकरण करते हैं। जिसके बाद प्रतिदिन निगम अधिकारियों से भी चर्चा कर शहर में संक्रमण की रोकथाम की कार्ययोजना की भी जानकारी लेते हैं। शहर में लॉकडाउन के दौरान व्यवस्था पर उन्होंने बताया कि कहीं किसी चीज की कमी नहीं है राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन अंतिम व्यक्ति की चिंता करने तत्पर है। साईं प्रसादालय व अक्षय पात्र के अलावा विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भी गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए ऐतिहासिक निर्णय के बाद अंत्योदय, प्राथमिकता व निराश्रित कार्ड धारियों को दो माह का राशन मुफ्त देने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इस खतरनाक महामारी की रोकथाम के लिए जितना जरूरी लोगों का जागरूक रहना है उतना ही आवश्यक प्रशासन एवं सरकार की सजगता व संवेदनशीलता है।