जनपद क्षेत्र में हो रहा निरंतर प्रदूषण, हो कार्यवाही- प्रीती वैष्णव

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न्यूयॉर्क । कारेक्स बेरहाड दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी है। यह हर साल करीब साढ़े पांच करोड़ कंडोम का निर्माण करती है। एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया में बिकने वाला हर पांचवां कंडोम इसी कंपनी का बनाया होता है। दुनिया की सबसे बड़ी कंडोम निर्माता कंपनी कारेक्स बेरहाड के सीईओ गो मिया कियाट ने महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में समस्याएं आने की बात कही है।इस दौरान कंडोम की बिक्री 40 फीसदी तक लुढ़की। हालांकि साल 2020 के शुरुआती महीनों में उन्हें कोरोना महामारी के दौरान कंडोम की बिक्री में भारी बढ़ोतरी होने की आशा जताई थी। लोगों के पास घरों पर करने के लिए सेक्स के सिवाए कुछ नहीं है। गो का यह भी मानना था कि महामारी का दौर स्वास्थ्य से जुड़ी अनिश्चितताओं का भी दौर है और यह गिरती जन्मदर से भी जुड़ेगा। उन्होंने कंडोम की मांग में दहाई अंकों में बढ़ोतरी की आशा जताई थी।क्या रही कंडोम बिक्री में गिरावट की वजह?गोह ने बिक्री में गिरावट की तीन वजहें गिनाई हैं। बढ़े मनोवैज्ञानिक तनाव के चलते लोगों में सेक्स की इच्छा खत्म होने के अलावा वे छोटे होटलों के बंद होने, सेक्स वर्क पर लगी पाबंदियों और सरकारों की ओर से कंडोम की बिक्री में गिरावट को मांग में कमी की वजह बताते हैं। उन्होंने कहा, होटलों का बंद होना, खासकर गरीब देशों में बिक्री गिरने की वजह रहा। क्योंकि गरीब देशों में छोटे होटलों जैसी जगहों पर ऐसी अंतरंग गतिविधियां होती हैं। वहीं दुनिया भर में सरकारें बहुत सारे कंडोम बांटती हैं। उदाहरण के तौर पर ब्रिटेन ने अपने नेशनल हेल्थ सर्विस कार्यक्रम (एनएचएस) को आंशिक तौर पर बंद कर रखा है। सरकारें और गैर-सरकारी संगठन हर साल अरबों की संख्या में कंडोम की खरीददारी करते हैं।क्या रहा भारत का हाल?भारत जैसे देशों में ग्राहकों को इस कमी का ज्यादा सामना नहीं करना पड़ा। महामारी के शुरुआती दौर में सप्लाई से जुड़ी कुछ समस्याएं हुई थीं लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं रहीं।कच्चे माल और सप्लाई चेन में भी समस्यामलयेशिया कंडोम निर्माण में अग्रणी है क्योंकि कंडोम निर्माण के लिए सबसे जरूरी कच्चा माल रबड़ यहां सबसे ज्यादा होता है। लॉकडाउन के चलते रबड़ सप्लाई में भी समस्याएं आईं क्योंकि रबड़ के काम को अति आवश्यक सेवाओं से बाहर रखा गया था। सप्लाई चेन से जुड़े ऐसे ही दुष्प्रभाव अन्य कंडोम निर्माता कंपनियों को भी देखने पड़े। कोरोना महामारी की शुरुआत में यूएन पॉपुलेशन फंड ने भी कहा था कि कोरोना के दौर में उन्हें पहले के मुकाबले 50 से 60 फीसदी कंडोम ही मिल पा रहे थे। इस दौरान ज्यादातर कच्चे माल की तरह रबड़ के दामों में भी भारी अनियमितता देखने को मिली।अप्रैल, 2020 के मुकाबले मार्च, 2021 में रबड़ के दाम करीब दोगुने हो गए। कोरोना के दौरान अन्य रबड़ उत्पाद भी मांग में रहे। हालांकि गो साल 2022 में कंडोम की मांग में वापसी की उम्मीद जता रहे हैं। कारेक्स बेरहाड कंपनी के प्रमुख ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा है, हमें फिर से मांग दिख रही है। कई सरकारें फिर से कंडोम का संग्रह करना चाह रही हैं गो को मुनाफे में भी बढ़ोतरी की आशा है क्योंकि अब ग्राहक ज्यादा महंगे उत्पाद खरीद रहे हैं।