नसबंदी का ठेका बंद,शहर में बढ़ रहे डॉग बाइट की घटनाएं

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रायपुर । शहर में आवारा कुत्तों की समस्या का अब तक समाधान नहीं निकाला जा सका है। नगर निगम ने स्ट्रीट डॉग की सर्जरी से लेकर उन्हें शहर से बाहर छोडऩे सहित कई प्रयोग किये पर वे फेल हो गये।गली- मोहल्लों से खूंखार कुत्तों को पकडऩे वाली डॉग कैचर टीम एक अरसे से शहर से गुम है। नगर निगम द्वारा सोनडोंगरी में आवारा कुत्तों की सर्जरी और बीमार कुत्तों की देखभाल के लिए बनवाये जा रहे प्रदेश के पहले डॉग शेल्टर का काम महीनों से बंद पड़ा है। ऐसे में चौराहों और गली-मोहल्लों में इन आवारा कुत्तों के झुंड ने आम आदमी की चिंता बढ़ा दी है। वहीं निगम अफसरों का कहना है, शिकायत आने पर कुत्तों की धरपकड़ की व्यवस्था है।राजधानी ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ में डॉग बाइट की बढ़ती घटना ने लोगों को परेशान कर दिया है। एक साल में सवा लाख को आवारा कुत्तों ने काटा। रायपुर जिला में सबसे ज्यादा 16 हजार डॉग बाइट के केस सामने आये। इसके बाद भी निगम प्रशासन ने आवारा कुत्तों की आक्रामकता कम करने समुचित प्रबंध नहीं किये। 5 साल से निजी एजेंसी को इस कार्य के लिए अनुबंध देना भी बंद कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक 2018 में शहर के अनुपम नगर में एक बच्ची पर कुत्तों के हमले की घटना से शासन ने बैरनबाजार हिंदू हाई स्कूल के पास स्थित पशु चिकित्सालय में 2 डॉक्टरों की प्रतियुक्ति पर पदस्थापनाकी है। तब से इन डॉक्टरों के माध्यम से स्ट्रीट डॉग की जनसंख्या नियंत्रित करने सर्जरी का कार्य किया जा रहा है, जबकि पूर्व में यह काम निविदा पर होता था, जिसमें अनुबंधित एजेंसी अपने संसाधन पर इस कार्य को किया करती थी।रोजाना औसतन दर्जनभर केससूत्रों के मुताबिक राजधानी के अंबेडकर अस्पताल के साथ जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉग बाइट के रोजाना औसतन दर्जनभर नए केस प्राप्त हो रहे हैं। इनके एंटी रेबीज वैक्सीन को व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क की गई है। इसके अलावा निजी अस्पतालों में डॉग बाइट से प्रभावित उपचार के लिए जाते हैं, जिनका कोई अलग से रिकार्ड नहीं है।