गुरुओं के पैर धोकर किया पूजन और लिया आशीर्वाद

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RO.NO. 12945/82

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संस्कार भारती दुर्ग जिला इकाई का नटराज पूजन तथा गुरु पूर्णिमा उत्सव आयोजित
भिलाई। संस्कार भारती दुर्ग जिला इकाई का श्री नटराज पूजन तथा गुरु पूर्णिमा उत्सव ,27 जुलाई शनिवार कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई के नटराज सभागार में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि मदन मोहन त्रिपाठी, (महा प्रबंधक कृष्णा पब्लिक स्कूल समूह ), रिखी क्षत्रिय प्रांत अध्यक्ष और कीर्ति व्यास जिला अध्यक्ष  ने दीप प्रज्ज्वलन तथा श्री नटराज एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात सामूहिक ध्येय गीत प्रस्तुत किया गया । मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष द्वय का परिचय दिया गया। स्वागत भाषण कीर्ति  व्यास ने दिया  व कार्यक्रम की भूमिका बताई। रिखी क्षत्रिय ने अपने उद्बोधन में गुरु की महत्ता बताते हुए कहा कि गुरु को गुरु दक्षिणा के रूप में शिष्य से धन वैभव नहीं चाहिए शिष्य के जीवन में गुरु का इतना महत्वपूर्ण स्थान है कि  शिष्य को जीवन में किसी भी समस्या से तथा भव सागर से पार केवल गुरु ही उतार सकते हैं ,गुरु शिष्य परंपरा अति आवश्यक है।
मदन मोहन त्रिपाठी ने मुख्य आसंदी से श्रीराम, श्रीकृष्ण, चाणक्य, वर्तन्तु के जीवन के प्रसंगों में गुरु शिष्य के आचार ,विचार ,व्यवहार पर उदाहरण  देकर, भारतीय कला व संस्कृति पर ज्ञान वर्धन किया तथा संस्कार भारती के इस उत्सव को उनकी शाला में आयोजित करने हेतु साधुवाद देते हुए कहा कि संस्कार भारती ने हमें तथा हमारे भवन को इतने सुंदर आयोजन का अवसर  प्रदान किया। सारगर्भित उद्बोधन के पश्चात मदन मोहन त्रिपाठी का सम्मान स्मृति चिन्ह के रूप में,लोक वाद्य रुंझु देकर, रिखी क्षत्रिय व कीर्ति व्यास ने देकर किया गया। श्री व्यास ने गुरु वंदना प्रस्तुत की ।

तत्पश्चात सभी कला गुरुओं, सतीश इंदूरकर (शास्त्रीय गायन ), मदन शर्मा (ढोलक वादक , गीतकार तथा लता मंगेशकर से छत्तीसगढ़ी गीत गवाने वाले),तबला गुरु गोवर्धन सरपे, कथक गुरु प्रकाश उमरे, रविन्द्र संगीत गुरु शिप्रा भौमिक के शिष्यों क्रमश: चैतन्य जोगलेकर (गायन) एवं अंकित जायसवाल (हारमोनियम), देवलाल साहू, पूनम सरपे (तबला), अपूर्वा एवं स्वर्णिमा (कथक) ने अपने अपने गुरुओं का पैर धोकर, पोंछकर, कुमकुम लगाकर, विधिवत पूजन किया । रिखी क्षत्रिय  व कीर्ति व्यास ने सभी कला गुरुओं का पुष्प,श्रीफल, शॉल ओढ़ाकर व सम्मान पत्र देकर सम्मान किया । मुख्य अतिथि तथा सभी कला गुरुओं को एक- एक पौधा भी भेंट किया गया।
तत्पश्चात शिष्यों की प्रस्तुतियों में सर्वप्रथम चैतन्य जोगलेकर ने राग जोगकौंस में छोटा ख्याल की मधुर प्रस्तुति दी। पूनम सरपे ने तबले पर रूपक ताल प्रस्तुत किया। जिसके साथ अंकित जायसवाल (खैरागढ़ ) था अंजना सरपे ने हारमोनियम पर लहरा दिया। तीसरी प्रस्तुति में अपूर्वा व स्वर्णिमा ने कथक विधा में सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया।
चतुर्थ प्रस्तुति में गुरु राजेश्वरी देवांगन की शिष्याओं, अनुष्का ,याशी एवं तुशिता ने भरतनाट्यम में सुंदर प्रस्तुति दी। पंचम प्रस्तुति में गीत वितान समूह के 18 सदस्यों ने गायन और वादन वृंद के साथ मिथुन दास के नेतृत्व में सुमधुर रविंद्र  संगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ . ज्योति धारकर  ने किया। कार्यक्रम में संस्कार भारती इकाई से आचार्य महेशचंद्र  शर्मा, कार्तिक  भोंसले ,ज्योति  शर्मा  शशिकला नायडू,हेमंत सगदेव, लालेश्वरी साहू , पुष्पलता नेताम , ज्योति गुप्ता, राजेश्वरी देवांगन, मोनिशा मल्होत्रा, मीरा तिवारी, सत्यवती शुक्ला, वंदना मिश्रा, पल्लवी त्रिवेदी, स्वाति पेंढारकर, देवयानी व्यास, विकास पांडे, राजेश धारकर, हेमंत जगम, संजय तनखीवाले, प्रशांत क्षीरसागर,योगेश उत्खेडे़ , गिरीश  सिंह राजपूत, अभिमान, अमृतांश , सहित नगर के प्रतिष्ठित लोगों में शोभना व्यास, श्री मिश्रा , पेंढारकर और भारत भूषण परगनिहा आदि उपस्थित थे। सभी ने गुरु पूजन विधि की सराहना की।