क्या देवेंद्र यादव बन गए है छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की दूसरी ताकत!

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दुर्ग। भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के विरोध में पूरे राज्य भर में कांग्रेस आंदोलन छेड़े हुए है। देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस में इतना हाहाकार क्यों मचा हुआ है। क्या कांग्रेस हाई कमान ने दिल्ली से आंदोलन का फरमान भेजा है। क्या देवेंद्र यादव में कांग्रेस आला कमान भविष्य के बड़े लीडर की संभावना देख रही है, ऐसे कई सवाल राजनीतिक गलियारे में कौंध रहे हैं। 
पिछले दशक भर में देवेंद्र यादव बड़े नेता के रूप में उभरे  हैं।
विकट हालात में देवेंद्र यादव ने दूसरी बार भी प्रेम प्रकाश पांडे को पराजित कर राजनीतिक नेपथ्य में डाल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनन्य समर्थक माने जाने वाले देवेंद्र यादव के राहुल गांधी से भी अच्छे ताल्लुकात है। 
राजनीति सें जुडे कुछ लोग यह भी कहते हैं, कांग्रेस के केंद्रीय संगठन को आर्थिक मजबूती देने में देवेंद्र यादव ने अपने नेता भूपेश बघेल का बखूबी साथ दिया। भिलाई से लेकर दिल्ली के 10 जनपथ के चैनल से उनकी पहचान हो चुकी है। इसलिए कांग्रेस आला कमान भूपेश के बाद यदि देवेंद्र यादव को तवज्जो दे, तो इसमें हैरत की बात नही। 
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी के नेताओ की कमी साफ दिखती है। देवेंद्र यादव जैसे युवा नेता की जरूरत कांग्रेस को अभी शिद्दत से है। पूरे मध्य छत्तीसगढ़ में अपनी बारी का इंतजार करते–करते युवक कांग्रेस के कई नेताओं ने अपनी जवानी पार्टी के लिए खत्म कर दिया, लेकिन उन्हें अवसर नही मिला। बीते चुनाव में भी 75 साल के ताम्रध्वज साहू, 70 पार के रविंद्र चौबे, भूपेश की उम्र के ही अरुण वोरा जैसे परंपरागत राजनीतिक परिवारों को ही अपना प्रत्याशी बनाया । चुनाव में कांग्रेस की हार हुई, सत्ता से बाहर होना पड़ा। जबकि, 2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़ की इसी जनता ने कांग्रेस को जबरदस्त मेजोरिटी के साथ सत्ता सौंपी थी । इन 5 सालों में कांग्रेस ने कई योजनाओं पर काम किया, तमाम कोशिशों के बावजूद भूपेश बघेल कांग्रेस की सत्ता नही बचा सके। मोदी का चेहरा भूपेश पर भारी पड़ा। लोगों ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को स्वीकार किया, जबकि कांग्रेस हाई कमान को नकार दिया।
बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती है। छत्तीसगढ़ की एकमात्र कोरबा लोकसभा सीट पर ज्योत्सना महंत ने सरोज पांडे को पराजित किया । कोरबा सीट पर ज्योत्सना महंत लगातार दूसरी बार संसद चुनी गई। यह अजब इत्तफाक था कि दस साल पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को सिर्फ एक सीट से हाथ धोना पड़ा था। तब सरोज पांडेय को ताम्रध्वज साहू ने हराया था। 2024 में भी यही हुआ, भाजपा को एकमात्र कोरबा सीट पर हार बर्दाश्त करना । कांग्रेस के ज्योत्सना महंत से सरोज पांडे 43 हजार वोटों से चुनाव हार गई थी। जीत का ग्राफ बढ़ने से कांग्रेस अब देवेंद्र यादव में नया भविष्य तलाश रही है।  
 छत्तीसगढ़ में लगातार 15 सालों के रमन सरकार के बाद कांग्रेस की भूपेश की अगुवाई वाली कांग्रेस को सत्ता मिली थी। कांग्रेस आला कमान को अभी उम्मीद है कि अगले चुनाव में सत्ता फिर से प्राप्त किया जा सकता है। मोदी फैक्टर के बावजूद 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीट प्राप्त किया था । इस बार 2023 में भी कांग्रेस को 35 सीट मिली है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में साय सरकार के खिलाफ मुखर होकर जनता के बीच पहुंचा जा सकता । 
इस कड़ी में आने वाले पांच साल तक कांग्रेस को धुरंधर नेताओं की जरूरत पड़ेगी, जो जनता का मन बदल सके।
इसलिए भिलाई नगर के विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के मसले पर कांग्रेस राज्य भर में आंदोलन छेड़कर जनता का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही है । कांग्रेस 
सूत्र बताते हैं कि देवेंद्र यादव को निकट भविष्य में युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी का विरोध  कर बड़े नेता के तौर स्थापित किया जा रहा है। भिलाई में वे महापौर रहे, दूसरी बार विधायक बने, बिलासपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा। देवेंद्र यादव भले तोखन साहू से तकरीबन सवा लाख वोटो से पराजित हुए, हार के बावजूद  देवेंद्र यादव ने 5 लाख 60 हजार वोट प्राप्त किया। भिलाई से बिलासपुर जाकर भाजपा को टक्कर देना इतना आसान नहीं था, फिर भी हाई कमान के निर्देश पर उन्होंने पूरी क्षमता से चुनाव लड़ा।
भूपेश बघेल के बाद देवेंद्र यादव को पार्टी शक्ति केंद्र बनाने की कवायद कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। अभी हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनाव है। उस लिहाज से कांग्रेस की रणनीति को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।