-दुर्ग जिले में जल संरक्षण व पर्यावरण संवर्धन की दिशा में हुआ ऐतिहासिक कार्य
दुर्ग । दुर्ग जिले में जल संरक्षण और पर्यावरण संवर्धन को लेकर चलाए जा रहे अभियानों ने आज एक नया इतिहास रच दिया। "एक पेड़ माँ के नाम" और "एक सोखता संतान के नाम" जैसे प्रेरक नारों के तहत जिले में एक ही दिन में 104111 पौधों का रोपण किया गया और सैकड़ों सोखता गड्ढों का निर्माण कर जलसंरक्षण को मजबूती प्रदान की गई।
इस अभिनव पहल की शुरुआत दुर्ग लोकसभा के सांसद विजय बघेल द्वारा की गई थी, जिन्होंने आम जनता से जल संचयन को बढ़ावा देने हेतु सोखता गड्ढे और रिचार्ज संरचनाएं स्वयं की प्रेरणा से बनाने की अपील की थी। इस दिशा में जिला प्रशासन ने भी उत्साहपूर्वक साथ देते हुए अभियान को जिलेभर में विस्तारित किया।
ग्राम पंचायत कोडिया में हुआ जिला स्तरीय आयोजन..
इस अभियान के अंतर्गत जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन ग्राम पंचायत कोडिया, जनपद पंचायत दुर्ग में किया गया, जिसकी अध्यक्षता विधायक ललित चंद्राकर ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती बंजारे, सदस्य श्रद्धा साहू, राकेश हिरवानी, एवं सरपंच हुकुम निषाद सहित कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
104111 पौधों का हुआ रोपण – ‘एक पेड़ माँ के नाम’..
कार्यक्रम के दौरान जिले की सभी ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के घरों में प्रत्येक आवास में 2 से 4 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। इस प्रयास के तहत कुल 27883 आवासों में 104111 पौधे रोपित किए गए। उल्लेखनीय है कि यह कार्य बिना किसी शासकीय सहायता के हितग्राहियों की स्वप्रेरणा से संपन्न हुआ, जो जनभागीदारी की एक मिसाल है।
जल संरक्षण हेतु रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण..
जल संसाधनों के पुनर्भरण के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा भेजी गई 486 बोरवेल संरचनाओं की सूची में से 265 बोरवेल्स में ‘वाटर परक्यूलेशन रिचार्ज सॉफ्ट’ तकनीक का उपयोग कर निर्माण कार्य पूर्ण किया गया। यह तकनीक अधिक वर्षा जल को सीधे बंद बोरवेल में रिचार्ज करती है। प्रत्येक संरचना की लागत ₹54000 है, जिनके लिए ₹1.40 करोड़ की स्वीकृति जिला पंचायत द्वारा प्रदान की गई।
वाटर अब्जॉर्प्शन ट्रेंच का निर्माण प्रगति पर..
मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजरंग कुमार दुबे के नेतृत्व में जल संरक्षण के लिए 34000 ट्रेंच निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनमें से अब तक 5800 ट्रेंच पूर्ण किए जा चुके हैं। शेष कार्यों के लिए जन सहयोग से निर्माण किया जा रहा है, और 18000 ट्रेंच की स्वीकृति हेतु प्राक्कलन तैयार किया जा रहा है।
ड्रेनेज क्षेत्र में बड़े सोखता गड्ढों का निर्माण..
गांवों में जलभराव वाले क्षेत्रों में प्रथम चरण में 300 बड़े सोखता संरचनाओं के निर्माण की योजना पर कार्य किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण एवं मनरेगा के समन्वय से इन कार्यों को स्वीकृति दी गई है। प्रत्येक संरचना की लागत ₹40000 रखी गई है, जिनके लिए ₹1.20 करोड़ की स्वीकृति जिला पंचायत द्वारा दी गई। इनमें से 179 संरचनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।
स्कूलों और घरों के सामने बनाए गए 2500 रिचार्ज पीट..
ग्रामीणों की आत्म-प्रेरणा से स्कूलों और घरों के सामने 2500 रिचार्ज पीट का निर्माण भी सफलतापूर्वक किया गया है। यह पहल दिखाती है कि जिले के नागरिक जल संरक्षण को लेकर न केवल सजग हैं, बल्कि सक्रिय भागीदारी भी निभा रहे हैं।
बता दे कि दुर्ग जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और नागरिकों के सामूहिक प्रयास से जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में यह अभियान एक प्रेरणास्रोत बन चुका है। "एक पेड़ माँ के नाम" और "एक सोखता संतान के नाम" जैसे नवाचारों से न सिर्फ पर्यावरणीय चेतना बढ़ी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम भी उठाए गए हैं।
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