-प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत दुर्ग जिले में महिला उद्यमिता को मिली नई उड़ान
दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन "बिहान" के अंतर्गत कार्यरत स्व-सहायता समूहों की महिलाओं के लिए ग्राम पंचायत रिसामा, विकासखंड दुर्ग की श्रीमति खेमीन निर्मलकर एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरी हैं। कल्याणी स्व सहायता समूह की सचिव के रूप में कार्यरत खेमीन दीदी ने पारंपरिक मजदूरी से आगे बढ़ते हुए अपने पति के सहयोग से सेट्रींग प्लेट निर्माण और आपूर्ति का व्यवसाय शुरू किया, जिससे अब वे वर्ष भर में 3.60 लाख रुपये तक की शुद्ध आमदनी अर्जित कर रही हैं।
मजदूरी से व्यवसाय की ओर..
पहले मजदूरी और उनके पति मिस्त्री कार्य से महज 8000 रुपये मासिक आमदनी पर जीवनयापन करने वाली खेमीन दीदी ने बिहान योजना के अंतर्गत स्व-सहायता समूह से जुड़ने के बाद नई राह तलाशने का निर्णय लिया। उन्होंने समूह के माध्यम से 2.50 लाख रुपये बैंक ऋण और 1 लाख रुपये स्वयं का निवेश कर 2000 वर्गफुट सेट्रींग प्लेट की यूनिट प्रारंभ की। इसके बाद 2024-25 में उन्होंने अपनी कमाई से अतिरिक्त 1000 वर्गफुट प्लेट और खरीदी।
100 से अधिक पीएम आवासों में किया आपूर्ति...
आज तक खेमीन दीदी द्वारा 100 से अधिक प्रधानमंत्री ग्रामीण आवासों एवं 100 से ज्यादा निजी निर्माण कार्यों में सेट्रींग प्लेट की आपूर्ति की जा चुकी है। वे बताती हैं कि 1000 वर्गफुट प्लेट लगाने पर लगभग 27,000 रुपये आमदनी होती है, जिसमें से 15,000 रुपये खर्च निकलने के बाद 12,000 रुपये की शुद्ध आय प्राप्त होती है। इस प्रकार 3000 वर्गफुट प्लेट पर प्रति माह 36,000 रुपये की शुद्ध आय और 10 माह के काम से वार्षिक 3.6 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
भविष्य की योजना: 5000 वर्गफुट की यूनिट...
खेमीन दीदी ने बताया कि वे वर्षा ऋतु के दो माह (जुलाई-अगस्त) को छोड़कर 10 माह कार्यरत रहती हैं। उनकी योजना है कि इस वर्ष सेट्रींग प्लेट का दायरा बढ़ाकर 5000 वर्गफुट किया जाए, जिससे आय में और वृद्धि हो सके।
कार्यक्षेत्र में तेजी से विस्तार...
खेमीन दीदी द्वारा दुर्ग जिले के रिसामा, चंदखुरी, उतई, घुघसीडीह, मचांदूर, कुकरैल, अण्डा, चिरपोटी सहित बालोद जिले के ओटेबंद, सुखरी, पागरी जैसे गांवों में भी निर्माण कार्यों हेतु सेट्रींग प्लेट की आपूर्ति की जा रही है।
150 समूहों की महिलाएं इस कार्य से जुड़ी...
जिला पंचायत दुर्ग के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बजरंग कुमार दुबे ने बताया कि जिले में लगभग 150 स्व-सहायता समूहों की महिलाएं सेट्रींग प्लेट निर्माण की गतिविधि से जुड़ी हुई हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्माण सामग्री की सतत आपूर्ति स्व-सहायता समूहों के माध्यम से की जा रही है, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरणा मिल रही है।
निष्कर्ष..
खेमीन दीदी की यह सफलता कहानी यह दर्शाती है कि यदि अवसर और मार्गदर्शन मिले तो ग्रामीण महिलाएं भी सशक्त उद्यमी बन सकती हैं। बिहान योजना और स्व-सहायता समूहों की भागीदारी से महिलाओं को न केवल आर्थिक संबल मिला है, बल्कि वे समाज में सम्मानजनक स्थान भी हासिल कर रही हैं।
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