छत्तीसगढ़ में भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को संजोने मां कौशल्या के आंगन में समारोह की भव्य तैयारी

छत्तीसगढ़ में भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को संजोने मां कौशल्या के आंगन में समारोह की भव्य तैयारी
- हरित खाद का उपयोग किया अपने खेतों में, मिट्टी की ऊर्वरता वापस आई - सुगंधित धान का रेट भी अच्छा मिला दक्षिणापथ, दुर्ग। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के अतिरिक्त दूसरी फसलों को प्रोत्साहित करने की योजना अंतर्गत ग्राम माटरा के किसानों ने अपने खेतों में सुगंधित धान उपजाया। इस निर्णय के दूरगामी असर हुए हैं। उनके चेहरे पर नवाचार की खुशी है। फसल के बेहतर दाम मिलने का आनंद है और सबसे अधिक संतोष की बात यह है कि उनकी मिट्टी की ऊर्वरता वापस आ गई है। माटरा के किसानों ने दो तरह से प्रयोग किये। पहला प्रयोग उन्होंने जैविक खेती के रूप में किया। इसके लिए हरित खाद का इस्तेमाल उन्होंने किया। बारिश के ठीक पहले सन बीज खेतों में फैला दिये। बारिश होने पर इनकी तेजी से वृद्धि हुई और महीने भर में ही मताई कर दी गई जिससे बेहतरीन जैविक ऊर्वरक तैयार हो गया। फिर सुगंधित धान की फसल ली गई। रासायनिक खाद का अधिक इस्तेमाल होने पर फसल की प्रतिरोधक क्षमता भी खराब होती है और कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ता है। जैविक खाद की वजह से इस परेशानी से किसान बचे रहे। फसल आई और इतनी लहलहाकर फसल हुई कि खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सामान्य धान का उत्पादन 15 से 18 क्विंटल तक होता है। विशिष्ट स्थिति में 18 क्विंटल तक उत्पादन होता है। किसान नारायण प्रसाद साहू ने बताया कि सुगंधित धान का उत्पादन लाभ का सौदा साबित हुआ। पहली फसल के बाद दूसरी फसल के लिए मिट्टी की ऊर्वरता वापस आ गई थी और मुझे खाद डालने की जरूरत ही नहीं पड़ी। 2500 रुपए प्रति क्विंटल में इसके लिए बाजार भी मिल गया। साथ ही स्थानीय रूप से 50 रुपए प्रति किलोग्राम में ग्राहक मिल गये। हम लोगों ने स्वयं के उपभोग के लिए भी सुगंधित धान रखा है। श्री साहू ने बताया कि जैविक खाद के इस्तेमाल का अनुभव अद्भुत है। हम सबको इसे करना चाहिए। बाजार में जैविक की डिमांड भी अच्छी है। इस संबंध में जानकारी देते हुए स्थानीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी दीपांकर मंडल ने बताया कि विभाग की ओर से इन्हें सन बीज दिया गया। वर्मी कंपोस्ट भी इन्होंने सोसायटी से लिया। रासायनिक खाद द्वारा उत्पादन करने की तुलना में दो क्विंटल अतिरिक्त सुगंधित धान मिला। उन्होंने बताया कि इस प्रयोग से किसान काफी उत्साहित हैं और आगे भी यह कार्य करना चाहते हैं। वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्री एनपी अहिरवाल ने बताया कि सरकार के प्रोत्साहन से किसान नवाचार अपना रहे हैं और इनसे मिल रहे लाभ स्वयं महसूस कर रहे हैं। इससे तेजी से दूसरी फसलों का रकबा और जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा। मिट्टी की दीर्घकालीन जरूरतों के लिए जैविक कंपोनेंट जरूरी- अच्छी फसल के लिए मिट्टी की सेहत बेहद जरूरी है। मिट्टी में आर्गेनिक कंपोनेंट यदि 3 प्रतिशत से 6 प्रतिशत हों तो मिट्टी का प्रदर्शन अच्छा रहता है। रासायनिक खाद के तेजी से प्रयोग के बाद मिट्टी में आर्गेनिक कंपोनेंट तेजी से घटा है। इससे दीर्घकाल में मिट्टी की ऊपजाऊ क्षमता पूरी तरह से बेअसर हो जाने की आशंका भी है। एक रिसर्च के मुताबिक एक शताब्दी पहले किसी पौधे में उगे संतरे की तुलना आज के संतरे से करें तो इसमें जैविक गुण दस फीसदी के आसपास रह गये हैं। यह इसलिए हुआ है कि मिट्टी में संतरे को देने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा जैविक खाद को प्रोत्साहित किये जाने के निर्णय से न केवल मिट्टी की सेहत वापस मिलेगी अपितु दीर्घकालीन दृष्टिकोण से भी किसानों की अगली पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा बनी रहेगी। देश भर में तेजी से उत्पन्न हो रहे रासायनिक खाद के संकट को देखते हुए यह और भी प्रासंगिक हो गया है।