रायपुर में 321 लोगों की हिंदू धर्म में घर वापसी, जगद्गुरु नरेंद्राचार्य महाराज ने किया मार्गदर्शन
रायपुर। राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित बीटीआई ग्राउंड में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज दक्षिण पीठ धाम के द्वारा एक दिवसीय प्रवचन दर्शन और मार्गदर्शन कार्यक्रम रखा गया. इस कार्यक्रम में 50 परिवारों के करीब 321 लोगों की हिंदू धर्म में घर वापसी करवाई गई.जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ पीठ के प्रमुख घनश्याम माहेश्वरी ने बताया कि स्वामी जगद्गुरु रामानंदाचार्य के द्वारा जो दक्षिण भारत रत्नागिरी से पीठेश्वर हैं. जगतगुरु नरेंद्र महाराज के संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था. उन्होंने कहा आज मार्गदर्शन और शुद्धिकरण का कार्यक्रम था. जो हिंदू दूसरे धर्म में चले गए थे. उन्होंने खुद यहां पर आकर हिंदू धर्म में घर वापसी की है. यह सभी जिलों से लोग आए थे, जिसमें धमतरी, दुर्ग, बालोद, राजनांदगांव, महासमुंद, बिलासपुर जैसे विभिन्न प्रांतों के लोग शामिल थे.इस अवसर पर समाजसेवी सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि आज हवन के साथ में धर्म परिवर्तित लोगों ने घर वापसी की है. उन्होंने बताया कि देशभर में भ्रमित होकर दूसरे धर्मों को अपनाने वाले हिंदू परिवारों को मार्गदर्शन देकर घर वापसी करवाई जा रही है. करीब 1 लाख 65 हजार परिवारों का अब तक हिंदू धर्म में वापसी हो चुका है, जो अस्थाई नहीं स्थाई रूप से घर वापसी होती है.वही हिंदू धर्म से दूसरे धर्म में चले गए कुछ लोगों ने बातचीत करते हुए बताया कि दोस्त लोगों के साथ में चले गए थे. धीरे-धीरे सब जानने लगे, परिवार वाले भी जानने लगे. बाद में बताया गया कि सबको उन्हें छोडऩा पड़ेगा, समाज में भी अलग होना पड़ेगा. समाज में भी कहा गया था कि वहां जाओगे तो छोड़ दिया जाएगा. लालच नहीं दिया गया था. वहां जाने से सब ठीक होता है यह सुनकर वे लोग गए थे. दल्ली राजहरा से करीब 6 से 7 लोग दूसरे धर्म में चले गए थे.इस अवसर पर समाजसेवी सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि आज हवन के साथ में धर्म परिवर्तित लोगों ने घर वापसी की है. उन्होंने बताया कि देशभर में भ्रमित होकर दूसरे धर्मों को अपनाने वाले हिंदू परिवारों को मार्गदर्शन देकर घर वापसी करवाई जा रही है. करीब 1 लाख 65 हजार परिवारों का अब तक हिंदू धर्म में वापसी हो चुका है, जो अस्थाई नहीं स्थाई रूप से घर वापसी होती है.वही हिंदू धर्म से दूसरे धर्म में चले गए कुछ लोगों ने बातचीत करते हुए बताया कि दोस्त लोगों के साथ में चले गए थे. धीरे-धीरे सब जानने लगे, परिवार वाले भी जानने लगे. बाद में बताया गया कि सबको उन्हें छोडऩा पड़ेगा, समाज में भी अलग होना पड़ेगा. समाज में भी कहा गया था कि वहां जाओगे तो छोड़ दिया जाएगा. लालच नहीं दिया गया था. वहां जाने से सब ठीक होता है यह सुनकर वे लोग गए थे. दल्ली राजहरा से करीब 6 से 7 लोग दूसरे धर्म में चले गए थे।