आर्थिक से ज्यादा सामाजिक सम्मान का महत्व: आयुक्त आशीष

आर्थिक से ज्यादा सामाजिक सम्मान का महत्व: आयुक्त आशीष
दक्षिणापथ, दुर्ग। तांदुला डेम से आये पानी ने जिले के ग्रामीण हलकों को सराबोर कर दिया है। गांव के तालाब, पोखर लबालब हो गए हैं। बच्चों की मस्ती बढ़ गई है, वे सुबह शाम नहा रहे हैं। मवेशी भी प्रसन्न है। इस चिलचिलाती गर्मी में निस्तारी जल प्रदाय ने राहत प्रदान की है। भीषण गर्मी के चलते तालाब व अन्य जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके थे। यहां तक पानी की कमी से जानवर भी परेशान हो गए थे। किंतु नहरों के जरिये पानी आने से लोग आनंदित हैं। जहां से भी छोटे या बड़े नहर गुजरते है उन स्थानों में पानी की कमी दूर हो गई है। नहरों में पानी आने से गांवों के माहौल ही बदल जाते है। यूं तो हर साल अप्रैल के महीने में निस्तारी जल प्रदाय किया जाता है। पर इस बार गर्मी ज्यादा पड़ रही है और मार्च में बिल्कुल बारिश नही हुई है। इससे न सिर्फ तापमान बढ़ गया बल्कि जलस्रोत भी सूख गए थे। निस्तारी के लिए जल देने से तालाब व पोखर भरे और उसके बाद अन्य हल स्रोत भी चार्ज हो रहे है। बताते है कि अंचल को पानी की आपूर्ति करने वाले बड़े जलाशयों में भी पर्याप्त पानी नही है। अधिकांश जलाशय अपनी क्षमता से औसतन एक तिहाई तक सिमट गए है। उम्मीद है कि आगामी मानसून सत्र में सूखे जलाशय भर जायेगे। फिलहाल इस गर्मी में आपूर्ति लायक जल अभी है ही।