कवर्धा सड़क हादसे पर हाईकोर्ट ने मांगा शपथ पत्र, पूछा हादसे रोकने क्या उपाय कर सकते हैं

कवर्धा सड़क हादसे पर हाईकोर्ट ने मांगा शपथ पत्र, पूछा हादसे रोकने क्या उपाय कर सकते हैं
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-मीडिया को भी दिया मैसेज
-कवर्धा के पंडरिया ब्लाक में सड़क हादसे में हुई 19 आदिवासियों की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने आज स्वत: संज्ञान लेकर प्रारंभिक सुनवाई की। राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों से शपथ पत्र में बताने के लिए कहा है कि सड़क हादसे रोकने के लिए क्या उपाय कर रहे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी गाइडलाइन में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी मांगी गई है। 
बिलासपुर।  कवर्धा के पंडरिया ब्लॉक में हुए सड़क हादसे में 19 आदिवासियों की मौत के मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लेकर आज प्रारंभिक सुनवाई की। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य शासन, राष्ट्रीय राजमार्ग, परिवार विभाग व कलेक्टर सहित सभी पक्षकारों से शपथ पत्र में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।
कवर्धा जिले के पंडरिया विकासखंड में कुकदूर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत खाम्ही के आश्रित गांव सेमरहा से 35 से 40 महिला पुरुष तेंदूपत्ता तोडऩे के लिए सोमवार की सुबह रुख्मीदादर के जंगल गए थे। तेंदूपत्ता तोडऩे के बाद सभी दोपहर को पिकअप क्रमांक सीजी 09 जेडी 5670 से अपने गांव सेमरहा लौट रहे थे। गांव से करीबन बीस किलोमीटर पहले नेउर– बाहपानी मार्ग पर बंजारी घाट में घुमावदार मोड़ पर ब्रेक फेल होने से पिकअप अनियंत्रित होकर पत्थर से टकराते हुए खाई में जा गिरी। इस घटना में 15 महिलाओं,तीन नाबालिक लड़कियों व एक पुरुष की मौत गई। जबकि दस लोग घायल है। सभी मृतक आदिवासी बैगा समुदाय से ताल्लुकात रखते थे। इस संरक्षित समुदाय को राष्ट्रपति ने गोद लिया है।
हादसे को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा व अरुण साव ने संवेदनाएं व्यक्त की। मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख व घायलों के लिए 50 हजार मुआवजे की घोषणा राज्य सरकार ने की।
जिस जगह वाहन हादसे का शिकार हुआ था वह ढलान वाला घाट क्षेत्र है। यहां वाहनों को यू टर्न लेकर गुजरना पड़ता है। वाहनों को हादसे से बचाने के लिए सड़क पर कोई भी दिशा सूचक बोर्ड या संकेतक नहीं लगा है। ना ही यहां स्पीड कम करने की सलाह वाला साइन बोर्ड है। अक्सर मोड पर यहां वाहन अनियंत्रित होते रहते हैं।
इस भयानक हादसे की मीडिया में प्रकाशित खबरों को हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मान आज हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई की है। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इसके लिए राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, स्टेट हाईवे और नेशनल हाइवे, कवर्धा कलेक्टर सहित 12 लोगों को पक्षकार बनाते हुए उनसे जानकारी मांगी है। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि जिस तरह से पिकअप में इतने लोगों को बैठाया गया था और वह पलट गई यह गंभीर घटना है। इस तरह के हादसे रोकने के लिए राज्य सरकार, परिवहन विभाग, नेशनल हाईवे, व कलेक्टर समेत अन्य पक्षकार क्या उपाय कर सकते हैं? इस पर अपना शपथ पत्र दें। साथ ही यह भी बताएं कि देश में लगातार बढ़ रहे सड़क हादसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत राज्य सरकार ने क्या-क्या कार्यवाही की है, इसकी भी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डीबी ने मीडिया के लिए भी बात कही। बेंच ने कहा कि पत्रकार अक्सर नेगेटिव खबरें ही ज्यादा छापते हैं, जबकि पॉजिटिव चीजों में भी काफी काम हो रहे है। मीडिया को पॉजिटिव चींजे भी छापनी चाहिए। साथ ही अदालत ने मीडिया संस्थानो से भी आग्रह करते हुए कहा कि आप लोग हादसों की भयानक तस्वीरें फ्रंट पेज पर छापते है, इससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए इन खबरों को अंदर के पेज पर प्रकाशित किया जाना चाहिए।