होम / दुर्ग-भिलाई / शिक्षा ही समाज और राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव है-उच्च शिक्षा मंत्री श्री वर्मा
दुर्ग-भिलाई
- भारतीय ज्ञान परंपराएं आध्यात्मिकता, नैतिकता और व्यावहारिकता पर आधारित है
- नई नीति शिक्षा को रोजगार, संस्कृति और अध्यात्म से जोड़ने का प्रयास करेगी
दुर्ग। छत्तीसगढ़ की भारतीय ज्ञान परंपरा-सृजन और संरक्षण की अंतर्यात्रा विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का कार्यक्रम आज शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, पुनर्वास, उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा शामिल हुए।
उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही समाज और राष्ट्र निर्माण की सबसे मजबूत नींव है। छत्तीसगढ़ की स्मृति और भारतीय संस्कृति दोनों ही अत्यंत समृद्ध हैं। हमारी मूल अवधारणा ‘अतिथि देवो भवः’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भाव पर आधारित है।
मंत्री श्री वर्मा ने कहा कि भारतीय सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है, जो भौगोलिक या राजनीतिक सीमाओं से नहीं, बल्कि अपनी ज्ञान परम्पराओं और आध्यात्मिक मूल्यों से पहचानी जाती है। उन्होंने कहा कि भारत की परम्पराएँ केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जीवन जीने की दिशा भी प्रदान करती हैं। उन्होंने वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, ज्योतिष, खगोलशास्त्र, गणित और दर्शन जैसे विषयों की समृद्ध परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परम्पराओं का आधार आध्यात्म, नैतिकता और व्यवहारिकता है।
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प्राचीन गुरुकुलों में शिक्षा का लक्ष्य केवल आजीविका नहीं, बल्कि व्यक्ति के भीतर चरित्र, अनुशासन और समाज के प्रति समर्पण का संस्कार स्थापित करना था। नई शिक्षा नीति 2020 इसी परम्परा को आधुनिक रूप में आगे बढ़ रही है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच पर आधारित यह नई नीति शिक्षा को रोजगार, संस्कृति और अध्यात्म से जोड़ने का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि आज का सृजन ही कल के विश्वगुरु भारत का आधार बनेगा। उन्होंने सभी शिक्षकों से आह्वान किया कि वे ज्ञान परम्परा के सबसे बड़े संरक्षक और सृजनकर्ता बनें। उन्होंने कहा कि प्रश्न करना ही ज्ञान की पहली सीढ़ी है। प्रश्न करने से ही ज्ञान में वृद्धि होती है। राजा जनक के दरबार में भी सवाल और विचार-विमर्श ही ज्ञान का आधार थे।
भारतीय विद्वानों का उल्लेख करते हुए वक्ता ने कहा कि आर्यभट्ट के शून्य और दशमलव पद्धति से लेकर कालिदास, तुलसीदास, कबीर, रहीम और मीराबाई की रचनाओं तक भारत की ज्ञान परम्परा ने विश्व को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मनुष्य को केवल बुद्धिमान ही नहीं बल्कि विवेकवान बनाती है और यह भारतीय संस्कृति को उसकी जड़ों से जोड़े रखने का माध्यम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य है वर्ष 2047 तक भारत को विकसित, सक्षम और स्वच्छ राष्ट्र बनाना। इस दिशा में केन्द्र और राज्य सरकार भी सक्रियता से कार्य कर रही है और यह लक्ष्य तभी संभव होगा जब हम सभी मिलकर कार्य करें। इस अवसर पर साईंस कॉलेज के प्राचार्य अजय कुमार सिंह, संयोजक डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. संजय तिवारी, महेन्द्र कपूर सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।
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