
दुर्ग। ग्राम तिरगा, झोला, भोथली एवं रूदा में एकादशी के अवसर पर पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई। गांव के लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजधजकर शामिल हुए और ढोल-नगाड़ों, बाजे-गाजे की धुन पर झूमते हुए नाचते-गाते निकले।
ग्राम तिरगा में गोड़ समाज द्वारा प्रतिवर्ष दीपावली और एकादशी के दिन गौरा-गौरी की यह शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा के दौरान महिलाएं मंगल गीत गाती नजर आईं और पुरुष/महिलाएं आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे। पूरे मार्ग में “जय बूढ़ा देव” और “गौरा-गौरी माता की जय” के जयघोष से वातावरण गूंज उठा।
इस अवसर पर ग्रामीण महिलाएं और युवतियां रंग-बिरंगे परिधानों में पारंपरिक गीतों पर झूमती नजर आईं। श्रद्धालुओं ने गांव की समृद्ध संस्कृति और एकता का परिचय देते हुए पूरे आयोजन को भक्ति और उत्सव के रंगों से भर दिया।
यह आयोजन आदिवासी संस्कृति की झलक प्रस्तुत करता है, जो हर वर्ष पूरे उल्लास और आस्था के साथ मनाया जाता है।
शोभायात्रा के समापन पर गौरा-गौरी की प्रतिमाओं का गांव की नदी में विधिवत विसर्जन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की सहभागिता रही, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल बना रहा।
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