-दर्शको में सिर चढ़कर बोला कैलाश खेर का जादू
-अमेरिका में भी होती है छत्तीसगढ़ की चर्चा
रायपुर। जैसे कोई हवाओ की सरसराहट तन को छूकर शरीर मे सिरहन उत्पन्न कर देती है...जैसे कोई बारिश की बूंदें तन पर पड़कर हलचल उत्पन्न कर देती है...जैसे कोई शोर, कोई आहट... कोई धुन...कोई लय... कोई ध्वनि कानो तक पहुचकर दिल के रास्ते आत्मा में समाहित हो जाती है...और मन मष्तिष्क, शरीर को खो जाने विवश कर देती है...थिरकने के लिए मजबूर करती हो..कुछ वही संगीत का जुनून आज देश के प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर के गायकी में नजर आया। छोटे कद के असाधारण प्रतिभा के धनी और अपनी आवाज से अपनी पहचान स्थापित करने वाले कैलाश खेर ने अपनी टीम के साथ गायकी का ऐसा हुनर पेश किया कि उनके द्वारा गाए हर गीत दर्शकों के अन्तस् में समाते रहे और अपनी गायकी से दर्शकों को अपने काबू में कर कैलाश खेर ने उन्हें झूमने, थिरकने को मजबूर किया।
छत्तीसगढ़ में कला और संस्कृति की नगरी रायगढ़ को भला कौन नहीं जानता। यहाँ महाराजा चक्रधर सिंह जी की संगीत प्रेम को लेकर समर्पण आज भी प्रासंगिक है। यहाँ दस से ग्यारह दिनों तक चलने वाले चक्रधर समारोह में देश के नामचीन हस्तियों की विद्या को मंच ही नहीं मिलता अपितु उन हस्तियों के कला का उनके हुनर का सम्मान भी मिलता है, यहीं नहीं इस मंच से छत्तीसगढ़ की वैभवशाली संस्कृति, परंपरा और कला को भी एक नई ऊंचाई मिलती है। स्थानीय कलाकारों के लिए यह मंच उनके आगे बढ़ने की राह में भी सहायक होती है।
चक्रधर समारोह के समापन अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मौजूदगी में कलाप्रेमियों, दर्शकों के संगम के बीच कैलाश खेर ने अपनी आवाज से अलग संवाद जोड़ा। लगभग दो दशकों से भारतीयों सहित अन्य देशों के संगीत प्रेमियों के बीच 2 हजार से ज्यादा फिल्मी गीत गाकर सभी के दिल में समाए कैलाश खेर ने रायगढ़ में कार्यक्रम प्रस्तुत करने आने से पहले ही सभी के दिल में जगह बना ली थी। उन्हें सुनने-देखने सिर्फ रायगढ़ ही नहीं आसपास के जिलों से भी दर्शक बड़ी संख्या में पहुँचे हुए थे। जैसे ही वे मंच पर आये, उनकी आवाज को सुनने और अपनी आँखों से उन्हें गाते हुए देखने को बेताब दर्शकों ने तालियों के गड़गड़ाहट से उनका अभिनन्दन किया। बच्चों से लेकर महिलाओं, युवाओं,युवतियों में उनका जादू सिर चढ़कर बोलता हुआ दिखाई दिया। एक तरफ रंग बिरंगी लाइटों से मंच में माइक लिए कैलाश खेर गाना गाते रहे वहीं उनके हर गाने में दर्शको का निरंतर थिरकना भी जारी रहा। उन्होंने रायगढ़ घराने द्वारा संगीत को दिये गए पहचान और मुकाम की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संगीत कोई शौक नहीं.. एक जुनून है और इस जुनून को पहचान देने में चक्रधर समारोह का आयोजन अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है।
उन्होंने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के विषय में होने वाली चर्चाओं का भी जिक्र किया और कहा कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया यहाँ की पहचान है।
बीस से ज्यादा भाषाओं में दो हजार से अधिक गीतों की प्रस्तुति दे चुके कैलाश खेर पद्मश्री से भी सम्मानित है और उन्हें सामाजिक सहभागिता के लिए भी जाना पहचाना जाता है। उनका बैंड कैलाशा के आर्टिस्ट के जुगलबंदी के बीच गीत का रोमांच दर्शकों को देर रात तक नचाता रहा। उन्होंने मंच से तेरे नाम से जी लूं..अल्लाह के बंदे हस दे....कैसे बताएं... रंग देनी...मंगल-मंगल...सहित अनेक गीत प्रस्तुत किए। सभी गीतों ने रायगढ़ वासियों को नाचने, गाने को मजबूर किया। दर्शक कैलाश खेर को देखने के साथ चक्रधर समारोह के समापन की सुनहरी यादें लेकर घर लौटे।
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