दुर्ग-भिलाई

श्री नेम-लब्धि अष्टान्हिका महोत्सव का भव्य शुभारंभ - गिरनार तीर्थ की महिमा पर हुआ भावपूर्ण प्रवचन

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नगपुरा। श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा में 22वें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ प्रभु के जन्म-दीक्षा कल्याणक एवं महान जैनाचार्य पूज्यपाद श्रीमद् विजय लब्धि सूरीश्वर जी म.सा. की 64 वीं पुण्यतिथि के पावन उपलक्ष्य में श्रावण सुदी तृतीया से "श्री नेम-लब्धि अष्टान्हिका महोत्सव" का शुभारंभ हुआ। यह आठ दिवसीय आयोजन श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक भावनाओं से ओतप्रोत रहेगा।
महोत्सव के प्रथम दिवस रविवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्री गिरनार महातीर्थ की भावयात्रा का आयोजन हुआ। पूज्य साध्वी श्री लब्धियशा श्री जी म.सा. ने इस अवसर पर गिरनार पर्वत की महिमा, तीर्थंकर की प्राप्ति एवं तलेटी से शिखर तक की यात्रा की हृदयस्पर्शी विवेचना प्रस्तुत की। उन्होंने गिरनार को सिद्ध भूमि बताते हुए कहा कि यह तीर्थ न केवल जैन धर्मावलंबियों बल्कि अन्य धर्मावलंबियों की भी आस्था का केंद्र है।

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प्रवचन में साध्वी श्री जी ने गिरनार की दिव्यता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पर्वत प्रथम से लेकर छठवें आरे तक विद्यमान रहा है तथा इसे हिमालय से भी प्राचीन माना जाता है। वर्तमान चौबीसी के बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभु का दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक यहीं संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि आगामी चौबीसी के सभी 24 तीर्थंकरों के मोक्ष का माध्यम भी यह पावन भूमि बनेगी।
भावयात्रा के क्रम में साध्वी श्री ने श्री अम्बिका माता की कथा, रत्नसार श्रेष्ठि कथा, नरवाहन राजा दृष्टांत, श्री नेम-राजुल की प्रीति, अभोल पशुओं की पुकार एवं नेमकुमार के संयम मार्ग जैसे प्रसंगों का मार्मिक वर्णन करते हुए भक्तों को तलेटी से मुख्य प्रासाद तक “नेम-नेम” की गूंज के साथ आध्यात्मिक यात्रा कराई।
महोत्सव के द्वितीय दिवस सोमवार को पूज्य लब्धि सूरीजी महाराज के बाल्यकाल की पुण्य स्मृतियों पर प्रकाश डाला गया। इसके उपरांत श्री मानतुंग सूरी द्वारा रचित श्री भक्तामर स्तोत्र के अंतर्गत प्रभात स्तवना और भक्तामर दीप समर्पण अनुष्ठान श्रद्धापूर्वक संपन्न हुआ। दीपों की रोशनी में भक्तामर की दिव्यता निखर उठी और श्रद्धालु भक्ति में सराबोर हो गए।

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मंगलवार को होगा गुणानुवाद सभा का आयोजन..
मंगलवार को पूज्य लब्धि सूरीजी की 64वीं पुण्यतिथि के निमित्त गुणानुवाद सभा आयोजित की जाएगी। इसमें पूज्य साध्वी श्री लक्ष्ययशा श्रीजी म.सा., पूज्य साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी म.सा., सहित चंद्र कुमार फत्तेपुरिया, मयूर भाई सेठ एवं पुखराज दुगड़ अपने भावपूर्ण वक्तव्यों द्वारा गुरुदेव के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे।
यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक शांति, आस्था और ज्ञान की दिव्य अनुभूति लेकर आ रहा है। आने वाले दिनों में विविध धार्मिक आयोजन, प्रवचन और साधना से यह महोत्सव और अधिक प्रभावशाली बनने जा रहा है।

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