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राष्ट्रीय बॉक्सिंग खेल प्रतियोगिताओं से छात्र दुर्ग लौटे, दो छात्रों ने प्रतियोगिता में ब्रांच मेडल जीता 

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दुर्ग। केंद्रीय विद्यालय दुर्ग से राष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लेने गए 15 छात्र सब कुशल वापस लौटे। छात्रों का नेतृत्व डॉ. अजय आर्य एवं राहुल ने किया। बॉक्सिंग प्रतियोगिता में दो छात्रों ने समीर, वजन वर्ग-63 किग्रा-66 किग्रा क्षितिज, भार वर्ग:-75 किग्रा-81 किग्रा कांस्य पदक जीता।
रायपुर रीजन की ओर से क्षितिज, समीर,आदित्य, ऐश्वर्या , युवराज,गौरव, रुद्राक्ष, आयुष, मेहुल, आशीष, अभिषेक, कार्तिक, कुशाग्र, मोक्ष, कुशल इन 15 छात्रों ने केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 में आयोजित बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लिया था। 
डॉ अजय आर्य जानकारी देते हुए बताया कि जब छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने जाते हैं और जहां पर 500 से अधिक खिलाड़ी भाग लेने आए हो वहां प्रतियोगिता अधिक टफ हो जाती है। ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग मिलने से छात्र-छात्राओं को आत्म मूल्यांकन तथा कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है। केंद्रीय विद्यालय नंबर 3 झांसी के प्रिंसिपल सुभाष चंद्र श्रीवास्तव जी ने हम सभी का विशेष रूप से ध्यान रखा। हम उनका धन्यवाद करते हैं। डिप्टी कमिश्नर ताजुद्दीन शेख ने व्यक्तिगत तौर पर मिलकर सभी अनुरक्षकों ,शिक्षकों और आयोजकों को छात्रों की सुरक्षा और खेल प्रतियोगिताओं के आदर्श रूप में आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया था। 
-छात्र-छात्राओं ने झांसी की रानी का किला देखा और इतिहास से हुए परिचित..
प्राचार्य सुभाष श्रीवास्तव के निर्देशन और अनुमति से छात्र-छात्राओं को झांसी की रानी का किला देखने का अवसर प्राप्त हुआ। डॉ अजय आर्य ने बताया कि किले जैसे ऐतिहासिक स्थान को देखने से इतिहास के प्रति रुचि बढ़ती है। किले के निर्माण किले के आर्किटेक्ट को देखकर छात्र बहुत चकित हुए। लगभग 400 साल पूर्व निर्मित इस किले में झांसी की रानी से जुड़े अनेक स्थल है। छात्रों को सबसे अधिक झांसी की रानी के किले में वह स्थान आकर्षित कर रहा था जहां से झांसी की रानी अपने बच्चों को कमर में बांधकर घोड़े के साथ कूदी थी। उसे घोड़े के स्वामी भक्ति और साहस में एक नया इतिहास लिखा था।
झाँसी का किला, जिसे "झाँसी की रानी का किला" भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के झाँसी शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला 17वीं शताब्दी में ओरछा के राजा वीर सिंह जू देव द्वारा बनवाया गया था। यह किला बलवंतनगर (वर्तमान झाँसी) में बंगरा नामक एक चट्टानी पहाड़ी पर स्थित है। किले में 10 दरवाजे हैं, जिनमें से कुछ के नाम हैं: खंडेराव गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, झरना गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैंयर गेट, और चाँद गेट। किले के अंदर कई महत्वपूर्ण स्थान हैं, जैसे कड़क बिजली तोप, रानी झांसी गार्डन, शिव मंदिर, और गुलाम गौस खान, मोती बाई और खुदा बख्श की मजार। 
झाँसी का किला 1857 के भारतीय विद्रोह में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था, जब रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ इसका बचाव किया था। इस किले के पास ही रानी महल बना हुआ है। किले में ही गणपति जी बहुत प्रतिमा और मंदिर स्थित है जहां पर प्रतिदिन झांसी की रानी पूजा करती थी। बारादरी नाम का संगीत कक्ष एवं अन्य स्थान ने छात्रों को रोमांचित किया।

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