छत्तीसगढ़

नपा कार्यालय में हुई रेन वॉटर हार्वेस्टिंग एवं कृत्रिम भूजल संवर्धन विधि कार्यशाला,जल संतुलन और महत्व को लेकर दी गई बहुमूल्य जानकारियां

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बालाघाट। जल संतुलन बना रहे इसके लिये सभी की भूमिका जरूरी है, वर्षा के जल को संचय करने के लिये कई विधियां है लेकिन आज लोगों के द्वारा इनकी अनदेखी की जा रही है जिससे भयानक जल समस्या उत्पन्न हो रही है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग एवं अन्य जल संवर्धन प्रक्रिया से जल संतुलन की दिशा में नागरिकों की भागिदारी होनी चाहिये। जल संरक्षण को लेकर नगरपालिका परिषद बालाघाट कार्यालय में जियोलॉजिक एसो.एण्ड रिसर्च सेंटर के सचिव तथा सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक एवं विभागाध्यक्ष भू विज्ञान डॉ. संतोष सक्सेना ने विस्तृत रूप में कार्यशाला लेकर प्रोजेक्टर के चित्रांकन के द्वारा समझाया। आयोजित कार्यशाला में नपाध्यक्ष भारती सुरजीतसिंह ठाकुर, सभापति संगीता कावरे, योगिता बोपचे, कमलेश पांचे, वकील वाधवा, समीर जायसवाल, उज्जवल आमाडारे, सीएमओ बीडी कतरोलिया,  इंजी. शील भालेकर, ज्योति मेश्राम, दीपक बिसेन,  साथ ही शहर के इंजीनियर्स विनय बोपचे, राकेश उमरे, श्री हुमनेकर, सागर पिपलेवार, आरिफ खान, पंकज पटले, राजेन्द्र बिसेन, शिशिर रामटेक्कर, सोहन अंगुरे सहित अन्य की उपस्थिति रही। 

अपनाई जाये कृत्रिम संवर्धन की विधियां

कार्यशाला में डॉ. सक्सेना ने चित्र के माध्यम से प्रायोगिक तरीके से समझाया कि भूज परिस्थिति के अनुसार जल का संवर्धन स्वयं ही करना चाहिये कृत्रिम भूजन संवर्धन की विभिन्न विधियां साधारण है और इसे आसानी से अपनाकर प्राकृतिक संतुलन, जल संरक्षण की दिशा में प्रत्येक नागरिक योगदान दे सकता है। जल संचय को लेकर कृत्रिम भूजल संवर्धन, शहरी क्षेत्र में छतीय जल से भूजल संवर्धन, कुआं, हैण्डपंप या ट्यूबवेल के माध्यम से  जल संवर्धन, ड्रम फिल्टर द्वारा रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, क्षैतिज फिल्टर इकाई द्वारा रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, ड्रम सोख पटि द्वारा वॉटर रिचार्ज सहित अन्य प्रकार से भूजन के कृत्रिम संवर्धन की विधियां बताई।  साथ ही बताया गया कि वर्षा का जल 99.6 प्रतिशत शुद्ध होता है और उसके प्रदूषित होने की कोई संभावना नहीं होती जब भूमि पर गिरता है तो मिट्टी सहित अन्य कणों के संपर्क में आकर गंदा होता है इसलिए सही तरीके से भूजल संवर्धन विधि को अपनाया जाता है तो जल संरक्षण, शुद्ध पेयजल तथा पर्यावरण संतुलन के लिये जरूरी है। 

जल संरक्षण के प्रति जागरूकता जरूरी-नपाध्यक्ष
 
नपाध्यक्ष भारती सुरजीतसिंह ठाकुर ने जल संरक्षण वॉटर हार्वेस्टिंग कार्यशाला के संबंध में बताया कि डॉ. सक्सेना द्वारा प्रकृति और जल संरक्षण को लेकर बहुमूल्य जानकारियां दी गई है। साथ ही शासन द्वारा भी कैच द रैन अभियान के तहत जल संचय गतिविधी को जन भागीदारी से क्रियान्वयन कर प्रोत्साहित किया जाता है। हमारा प्रयास होगा कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को प्रभावी ढंग से नक्शा पास इसी बाध्यता के अनुरूप हो ऐसी व्यवस्थाएं स्थापित होगी। नपाध्यक्ष श्रीमती ठाकुर ने अपेक्षा जाताई कि शासकीय तथा अशासकीय इंजीनियर्स मिलकर कार्य करेंगे तो भवन, इमारत निर्माण के दौरान ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा सकेगा इसके अलावा जल संचय को लेकर कृत्रिम भूजल संवर्धन विधियों का भी प्रचार-प्रसार किया जायेगा। नागरिकों से जल के महत्व को समझते हुए  जलस्रोत, संचय तथा भूजल संवर्धन इन उपायों को लेकर  सहयोग करने का आग्रह किया है।
इस अवसर पर सीएमओ बीडी कतरोलिया ने कहा कि भारत सरकार के जल शक्ति अभियान कैच द रैन के तहत प्रदेश के सभी निकायों में जल संचय जन भागीदारी कार्यक्रम अंतर्गत प्रोत्साहन हेतु प्रावधान किया गया है जन भागीदारी से जल संचय की  कार्य योजना नगर पालिका में तैयार की जा रही है जिससे आम जनों में जागरूकता लाकर कैच द रेन वर्षा जल को संचय करने की प्रभावी योजना जन सहयोग से यह अभियान 30 मार्च से प्रारम्भ किया जाएगा ।अंत में उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों व सीएमओ ने प्रो. संतोष सक्सेना का साल-श्रीफल भेंटकर अभिनंदन किया जहाँ सभापति योगिता विनय बोपचे ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त कर धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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