मुंबई । महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा गिरने के बाद प्रदेश में छिड़े राजनीतिक घमासान के बीच एक नया खुलासा हुआ है।महाराष्ट्र कला महानिदेशालय ने मालवन के राजकोट किले के लिए छत्रपति शिवाजी की सिर्फ 6 फीट ऊंची प्रतिमा की मंजूरी दी थी, लेकिन यहां 35 फीट की प्रतिमा बना दी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के निदेशक राजीव मिश्रा ने कहा कि मूर्तिकार ने मिट्टी का मॉडल दिया था।
मिश्रा ने बताया कि इस मामले में निदेशालय को भी अंधेरे में रखा गया। एक बार मंजूरी मिलने के बाद निदेशालय को यह नहीं बताया गया कि मूर्ति 35 फीट ऊंची होगी और उसमें स्टील की प्लेटों का इस्तेमाल किया जाएगा।रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के लोक निर्माण विभाग ने नौसेना को 2.44 करोड़ रुपये भेजे थे, जो मूर्ति लगा रही थी। भारतीय नौसेना ने ही सलाहकार और मूर्तिकार नियुक्त किए थे और डिजाइन को निदेशालय भेजा था।
अधिकारी ने बताया कि बाद में मूर्ति की ऊंचाई बढ़ाई गई, जिसकी उनको जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने नौसेना को मूर्ति के नट बोल्ट में जंग लगने के बारे में बताया था।अधिकारी ने बताया कि निदेशालय के पास संरचनात्मक स्थिरता या इस्तेमाल की गई सामग्री की जांच करने का कोई तरीका नहीं था।उन्होंने बताया कि यह नौसेना की जिम्मेदारी थी क्योंकि उसने मूर्तिकार और सलाहकार की नियुक्ति की थी।
मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग के मालवण तहसील के राजकोट किले में शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा सोमवार दोपहर ढह गई।प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर किया था और किले के समारोह में आए थे। इससे खराब गुणवत्ता को लेकर विवाद और बढ़ गया है।मामले में मूर्तिकार जयदीप आप्टे और संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल पर एफआईआर हुई है। पाटिल कोल्हापुर से गिरफ्तार कर लिया गया है।
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