दक्षिणापथ, दुर्ग। हालांकि बजट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी है, पर शिक्षक समुदाय इसकी रूपरेखा व नियम शर्तों को लेकर पूर्णतया मुतमईन नही है। पूर्ण पेंशन के लिये 33 सालो की नौकरी जैसे मसले शिक्षकों को असमंजस में डाल रहा है। शिक्षकों की नौकरी की अवधि संविलियन तिथि से मानी जायेगी या प्रथम नियुक्ति तिथि से गणना होगी, इस बात पर पेंच फंसी हुई है। इसके बावजूद राज्य के पौने दो लाख शिक्षको में सरकार की निर्णय से भारी प्रफुल्लता है। शिक्षकों का कहना है कि कम से कम जीवन का उत्तरार्ध सम्मानजनक ढंग से गुजर जाएगा। पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय ऐतिहासिक है। सरकार ने साबित कर दिया है कि वह सरकारी कर्मचारियों का शुभचिंतक है।
2004 के बाद से नियुक्त शिक्षक वैसे भी 2030 के बाद ही सेवानिवृत्त होंगे। इसके बावजूद 10 फीसदी के आसपास शिक्षक आगामी पांच दस सालों में सेवानिवृत्त के कगार पर पहुंच जाएंगे। इनके पेंशन के लिए सरकार क्या नीति बनाती है यह देखने वाली बात होगी। शिक्षकों का कहना है कि पेंशन का पूरा नही तो थोड़ा लाभ तो मिलेगा ही, वह भी राहत की बात है। जब से पुराना पेंशन योजना बंद किया गया था तब से अपने भविष्य को लेकर कर्मचारी चिंतित थे। हालिया सरकारी घोषणा से बेशक उनकी बड़ी चिंता खत्म हो गई है। जाहिर अब शिक्षक समुदाय निष्ठा, समर्पण व मेहनत से शिक्षा व्यवस्था की सुधार में अपनी सहभागिता निभाएगा।
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