थाना दुर्ग के थाना प्रभारी व जनसूचना अधिकारी भूषण एक्का पर सूचना आयोग ने किया ₹50 हजार का अर्थ दंड..

थाना दुर्ग के थाना प्रभारी व जनसूचना अधिकारी भूषण एक्का पर सूचना आयोग ने किया ₹50 हजार का अर्थ दंड..
RO. No. 13028/147

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समय सीमा में आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं करने का दोषी पाए जाने पर हुई दंडात्मक कार्यवाही

दुर्ग। सूचना का अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने हेतु आवेदन करने वाले चंद्रिका प्रसाद मधुकर को समय पर जानकारी प्रदान नहीं करने के दोषी पाए जाने पर राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार शुक्ल ने दो शिकायत प्रकरणों में तत्कालीन थाना प्रभारी थाना कोतवाली दुर्ग व जनसूचना अधिकारी भूषण एक्का पर 25-25 हजार रुपए पृथक-पृथक अर्थात कुल 50 हजार रुपए का अर्थ दंड अधिरोपित किया है। सूचना आयोग ने भूषण एक्का को आदेश की प्रति भेज कर अधिरोपित शास्ति की राशि चालान द्वारा शासकीय कोष में जमा करवाकर आयोग को अवगत कराने के भी निर्देश दिए हैं। आदेश की कॉपी पुलिस अधीक्षक दुर्ग व पुलिस अधीक्षक कबीरधाम को भी आयोग द्वारा सूचनार्थ व पालनार्थ भेजी गई है। भूषण एक्का वर्तमान में थाना पिपरिया, जिला कबीरधाम में थाना प्रभारी के रूप में पदस्थ हैं।

आवेदक चंद्रिका प्रसाद मधुकर ने 12 मार्च 22 के आवेदन द्वारा पुलिस अधीक्षक कार्यालय दुर्ग पद्मनाभपुर चौकी से स्वयं के द्वारा ही प्रस्तुत आरटीआई आवेदन के बारे में दो कंडिकाओं में जानकारी मांगी थी। उनका आवेदन थाना दुर्ग को अंतरित किया गया था। थाना दुर्ग ने पद्मनाभपुर चौकी को आवेदन अग्रेषित कर दिया, जहां से जानकारी प्रदान करने की बजाय और समय की मांग की गई। जानकारी पाने से वंचित रहने पर चंद्रिका मधुकर ने 13 जून 22 को सूचना आयोग में शिकायत की जिस पर सूचना आयोग में शिकायत प्रकरण क्रमांक C/2444/22 दर्ज कर सुनवाई की गई।

आयोग ने चौकी प्रभारी पद्मनाभपुर के सहायक जनसूचना अधिकारी तत्समय पदस्थ रहे  वैभव बैंकर के जानकारी प्रदान करने हेतु और समय की मांग किए जाने को भी प्रावधान अनुरूप नहीं होना माना। उत्तरवादी ने आवेदक को जानकारी उपलब्ध होते ही प्रदान कर दिए जाने का भी लेख किया था, परंतु दीर्घकाल तक प्रदान नहीं किया।

आयोग से नोटिस प्राप्त होने पर उत्तरवादी द्वारा खानापूर्ति आरंभ कर दी गई तथा आयोग को यह जवाब पेश कर दिया कि वांछित अभिलेख तलाश कराया गया है,  नहीं मिलने पर रोजनामचा में रिपोर्ट दर्ज किया गया है। उत्तरवादी के जवाब से यह प्रमाणित हो गया था कि वांछित अभिलेख की प्रविष्टि रजिस्टर में तो अवश्य ही दर्ज हुई थी, परंतु उत्तरवादी ने आवेदक को जानकारी प्रदान कर दी गई है, कह कर भी आयोग को गुमराह व भ्रमित करने का प्रयास किया था। उत्तरवादी को आयोग द्वारा शो कॉज नोटिस जारी किया गया था, जिसका भी कोई समाधानकारक जवाब प्रस्तुत कर आयोग को संतुष्ट कर पाने में उत्तरवादी विफल रहे।

इसी तरह एक अन्य आवेदन 12 मार्च 22 को चंद्रिका प्रसाद मधुकर ने पुलिस अधीक्षक दुर्ग के कार्यालय से पद्मनाभपुर पुलिस चौकी से जारी हुए एक पत्र के संबंध में चार बिंदुओं में जानकारी मांगी थी, जिसे भी थाना दुर्ग को अंतरित कर दिया गया था और वही आवेदन बाद में चौकी प्रभारी पद्मनाभपुर को अंतरित कर दिया गया था। जिसने समय पर जानकारी देने की बजाय और समय दिए जाने की मांग की थी, जबकि ऐसा प्रावधान ही नहीं है। आवेदक को अंत तक भी जानकारी प्रदान नहीं किया जाना प्रमाणित रहा। जिसके लिए सूचना आयोग ने शिकायत प्रकरण क्रमांक C/2448/22 दर्ज कर तत्समय पदस्थ रहे थाना प्रभारी दुर्ग भूषण एक्का को दोषी पाया है तथा ₹25000 के अर्थदंड से दंडित भी किया है। यह पहला अवसर है जब थाना दुर्ग में पदस्थ किसी भी एक ही जनसूचना अधिकारी पर ₹50000 का अर्थ दंड सूचना आयोग द्वारा अधिरोपित किया गया है। 

आयोग के उक्त दोनों आदेशों की प्रतियाँ आज ही शिकायतकर्ता चंद्रिका प्रसाद मधुकर को प्राप्त हुई है। उक्त जानकारी वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता इंदरचंद सोनी ने दी है।