छत्तीसगढ़ को मिला देश का सबसे स्वच्छतम राज्य का अवॉर्ड

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RO. No. 13028/147

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दक्षिणापथष रायगढ़ (सरोज श्रीवास)।घरघोड़ा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के महामंत्री प्रवक्ता व साऊथ ईस्टर्न कोयला मजदूर कांग्रेस इंटक केंद्रीय उपाध्यक्ष गनपत चौहान ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश की भूपेश सरकार द्वारा अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के द्वारा बंद की गई पेंशन की बहाली की घोषणा अपने बजट में कर लाखों कर्मचारियों और उनके परिजनों के उज्ज्वल भविष्य व बेहतरी के लिए हैं उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली की मांग पूरे देश में 2004 के बाद की जाने लगी थी जिसे हाल ही में राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने पुरानी पेंशन की बहाली की घोषणा की अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने बजट में प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की बहुप्रतीक्षित मांग पुरानी पेंशन को लागू करने की घोषणा कर कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा दिया है जिससे कर्मचारियों में व्यापक हर्ष व्याप्त हो उठा है। गनपत चौहान ने यह भी कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम कांग्रेस पार्टी द्वारा पूरे देश में लागू की थी जिसे बाजपेयी सरकार ने 1 जनवरी 2004 व उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए कांग्रेस की सरकार के दौरान लागू की गई पेंशन योजना को बंद कर उनके पेंशन की जिम्मेदारी अन्य संगठन को देकर सरकार ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया था। जिसे अब कांग्रेस की सरकारों ने अपने राज्यों के कर्मचारियों के हित संरक्षण के लिए लागू कर राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकार ने बेहतरीन निर्णय लिया हैं जो स्वागतयोग्य है। क्या है पुरानी पेंशन स्कीम -सन् 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत के बाद एक डिफाइड पेंशन मिलती थी। यह पेंशन उसकी सेवा की अवधि के बेस पर नहीं बल्कि सेवानिवृत के समय कर्मचारियों की सैलरी पर निर्भर करती थी। इस स्कीम के तहत् सेवानिवृत कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिजनों को भी पेंशन सुविधा का लाभ मिलता था। एनपीएस व्यवस्था 2004 के बाद -सन् 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी कर्मचारियों को सशस्त्र बलों को छोड़कर ज्वाइन करने वालो को एनपीएस के तहत् पेंशन मिलती है। इस स्कीम में सरकार 14: का अंशदान करती हैं। और कर्मचारी भी अंशदान करते हैं और सेवानिवृत के समय कर्मचारी के नाम एक कॉरपस तैयार हो जाता है और सेवानिवृत के बाद उस कॉरपस से उसे एक वार्षिकी खरीदनी होती हैं। इसी वार्षिकी के तहत् हर महीने पेंशन मिलती है। यानी पुरानी पेंशन के प्रावधान को बदलकर 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की पेंशन की जिम्मेदारी किसी दीगर संगठन को देकर और वह संगठन बाजार में व्यवसाय कर पैसा लगाकर पेंशन निर्धारण करता है यह अविवेकपूर्ण निर्णय कर्मचारियों को नागवार लगता है।