घुटनों के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

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जगदलपुर। अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए देश और दुनिया में विख्यात बस्तर की तस्वीर बदल रही है। साल दर साल स्थानीय जनजातीय लोगों का जीवन बेहतर हुआ है। स्वास्थ्य, शिक्षा समेत कई क्षेत्रों में लोगों की कठिनाइयां दूर हो रही हैें। यह सब प्रदेश और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से संभव हो सका है। साथ ही एनएमडीसी जैसी ख्यातिप्राप्त सरकारी कंपनियों की भी इसमें महती भूमिका रही है, जिनके जरिए नैगम सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत संचालित गतिविधियों से छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों में विकास की एक नई इबारत लिखने में मदद मिली।
कंपनी ने अपनी कौशल विकास योजना के जरिए रोजगारपरकता को बढ़ावा देकर बेरोजगार हाथों को न केवल रोजगार का स्थायी आधार दिया, बल्कि उन्हें सम्मान के साथ जीना भी सिखाया। यही वजह है कि आज क्षेत्रीय जनजातीय लोग अंधेरों के अभिशाप से मुक्त होकर अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर पाने में सहजता का अनुभव कर रहे हैं। उनका जीवन स्तर भी पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है।
कंपनी से मिलने वाली निशुल्क चिकित्सा, मोबाइल हेल्थ केयर जैसी सुविधाओं से जहां जनजातीय लोगों को स्वस्थ्य और निरोग रहने में मदद मिल रही है, वहीं दंतेवाड़ा में एजूकेशन सिटी की स्थापना, नर्सिंग एजूकेशन, छू लो आसमां और अन्य शैक्षिक प्रकल्पों से उनकी भावी पीढ़ी के सपनों को नए पंख मिले हैं। बस्तर की प्रतिभाएं अब वनांचल से निकलकर आईएएस बन रही हैं, आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों का रूख कर रही हैं। यह सब बदलाव अनायास ही नही है कि बस्तर में सड़कों और पुलों का जाल बिछ रहा है। मुख्य मार्गों पर पगडण्डियां नहीं, चैड़ी पक्की और डामरीकृत सड़कें दिखती हैं। छत्तीसगढ़ शासन में विशेष सचिव एन बैजेंद्र कुमार के एनएमडीसी के सीएमडी बनने के बाद यह बदलाव अधिक व्यापक हुआ है। छत्तीसगढ़ को लेकर उनके जुड़ाव का ही नतीजा है कि न केवल परियोजना क्षेत्रों बल्कि आसपास के इलाकों में भी विकास योजनाओं ने तेजी पकड़ी है।
जमीन से जुड़े कुमार सीएसआर को महज एक सांविधिक आवश्यकता न मानकर लोक कल्याण के लिए पीएसयू कंपनियों की स्थानीय लोगों के साथी भागीदारी और हिस्सेदारी पर खासा जोर देते रहे हैं। यही वजह है कि बस्तर की इस बदलती तस्वीर में एन.एम.डी.सी. बढ़ चढ़कर अपनी भूमिका का निर्वाहन कर रही है।
छह दशकों की अपनी यात्रा में केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन इस कंपनी ने सार्वजनिक क्षेत्र के एक औद्योगिक उपक्रम के रूप में जो छवि बनाई है और ख्याति अर्जित कर उपलब्धियों का अनूठा आयाम स्थापित किया है वह निश्चय ही एक विकासशील राष्ट्र की अपेक्षाओं में खरे सिद्ध होने की मिसाल है। आज एन.एम.डी.सी. अपने नाम को पूरी तरह सार्थक करने में जुटी हुई है जिसका कार्य क्षेत्र राष्ट्र की धरा पर अक्षय खनिज भण्डारों का उत्खनन कर राष्ट्र की सम्पत्ति की अभिवृद्धि करना मात्र नहीं है वरन उसका सम्वर्द्धन राष्ट्र के विकास के निमित्त निरन्तर गतिशील रूप में अपने होने को जीवन्त रूप में स्थापित करना भी है। एन.एम.डी.सी. आज एक खनिज उत्खनन की इकाई मात्र नहीं है वरन एक औद्योगिक वृहत्तर प्रतिष्ठान के रूप में स्थापित हो रही है। एन.एम.डी.सी. ने खनिज उत्खनन के क्षेत्र में अपने निष्ठावान कर्मियों के अथक प्रयत्न से गुणवत्ता पूर्ण एक ऐसे आदर्श की स्थापना की है जो सार्वजनिक क्षेत्र में एक प्रेरणादायी प्रतीक बन चुका है। अपनी स्थापना के साथ ही खनिज निगम ने राष्ट्र के आर्थिक विकास में भी अपना अतुल्यनीय योगदान दिया है।
वैसे भी किसी उपक्रम की उपादेयता इस बात पर निर्भर नहीं रहती कि उसकी उपलब्धि क्या है? वरन सही अर्थों में उसकी महत्ता इस बात में है कि उसने लोकहित में क्या कुछ किया है.... और किस सीमा तक लोगों का विश्वास अर्जित किया है। इस लिहाज से एनएमडीसी अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है।