नई दिल्ली। दिल्ली की निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में हर रोज देश और विदेश से 4 से 5 हजार लोग एकत्र होते थे। ये हर रोज आते थे और चले जाते थे। यहां आने वाले लोगों से उनका देश और मरकज में आने का कारण पूछा जाता था। यह बात दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की जांच में सामने आई है। शाखा ने मरकज से जुड़े लोगों से पूछताछ शुरू की है। हालांकि यह पूछताछ अभी मोबाइल फोन पर ही चल रही है। कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के चलते पुलिस अधिकारी सामने बैठाकर पूछताछ से परहेज कर रहे हैं। अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दस से ज्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है। ज्यादातर ने वही बात बताई है, जो यहां से बरामद रजिस्टरों में लिखी है। रजिस्टरों में सबसे अहम कॉलम मरकज में आने का कारण है। विदेशों से आने वाले लोगों का अलग रजिस्टर बनाया जाता था। ज्यादातर लोगों ने पूछताछ में भी कहा कि मरकज में आने का कारण पूछा जाता था। जो लोग जमात के लिए आते थे, उन्हें मरकज में रोका जाता था। बाकी लोगों को वापस भेज दिया जाता था। मरकज में जमात 1927 से शुरू हुई थी।
अपराध शाखा के एक अधिकारी का कहना है कि मरकज के मौलाना मोहम्मद साद के अलावा अन्य छह पदाधिकारियों, जिनका एफआईआर में नाम है, को भी नोटिस भेजा गया है। एफआईआर में मोहम्मद अशरफ, मुफ्ती शहजाद, डॉ. जीशान, मुरसालीन सैफी, मो. सलमान और यूनुफ का नाम है। दूसरा नोटिस भेजकर इनसे भी और सवाल पूछे गए हैं। पुलिस ने दूसरे नोटिस का जवाब जल्द ही मांगा है। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा तब्लीगी मरकज की जांच रिपोर्ट हर रोज गृह मंत्रालय को भेज रही है। गृह मंत्रालय इस रिपोर्ट को सभी राज्यों से साझा करता है। अपराध शाखा ने ज्यादातर जमातियों के मोबाइल नंबर गृह मंत्रालय को दे दिए हैं।