गरीब और सर्वहारा वर्ग को नलघर काम्पलेक्स में मिलेगा डायग्नोस्टिक सेंटर का लाभ

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कानपुर । योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जो मंत्रिमंडल तैयार किया गया है,उसमें कानपुर को मायूसी हाथ लगी है। यूपी में पहली बार ऐसा हुआ है जब सूबे में भाजपा की सरकार हो और कानपुर को कोई मंत्री पद न मिला हो। अलबत्ता इस बार कानपुर देहात को काफी वरीयता दी गई है। कानपुर देहात से तीन चेहरों को योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। कानपुर देहात के इन तीन चेहरों के साथ जातीय गणित को भी साधा गया है। लेकिन दबी जुबां से कानपुर के कई भाजपाई यह कहने लगे हैं कि जिन विपरीत स्थितियों में कानपुर ने भाजपा को मजबूती प्रदान की, इस बार के मंत्रिमंडल में उसे ही शून्य कर दिया गया। योगी सरकार के इस बार के मंत्रिमंडल को जातीय समीकरणों के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।इन सबके बावजूद कानपुर के भाजपा नेता और कार्यकर्ता निराश हैं। कई नेताओं ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि कानपुर के लिए इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। इसके पीछे आधार बताते हुए वह कहते हैं कि कानपुर में 10 से से सात विधानसभा सीटों पर भाजपा जीती, तो उसे मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया, वहीं चार सीटों वाले कानपुर देहात में तीन तीन मंत्री पद दे दिए गए। बता दें कि योगी मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए राकेश सचान, कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा से, प्रतिभा शुक्ला अकबरपुर रनियां विधानसभा से और अजीत पाल सिकंदरा विधानसभा से जीते थे।राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इन तीनों चेहरों में दलबदलुओं को ही प्राथमिकता दी गई है। कानपुर में सबसे ज्यादा वोटों से जीते हैं महाना बात अगर सतीश महाना की हो, तो कानपुर में सबसे ज्यादा वोटों से उन्होंने जीत दर्ज की। वह लगातार आठ बार से विधानसभा का चुनाव जीत रहे हैं। राजनीतिक जानकार कह रहे है कि हो सकता है कि जातीय गणित में महाना फिट न बैठ रहे हों,लिहाजा उन्हें इस बार शामिल नहीं किया गया। इसी तरह नीलिमा कटियार कुर्मी समाज से आती हैं,उनकी जाति के राकेश सचान को मंत्री पद मिल गया।