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पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय ने आर्थिक मामलों के सचिव अतानु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में उद्योगों को नुकसान के अलावा बेरोजगार हुए लोगों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए नौकरशाहों की एक समिति बनाई है। मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह ही गरीबों और समाज के वंचित तबकों के लिये मुफ्त खाद्यान्न और खातों में कैश ट्रांसफर के रूप में 1.7 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था। लॉकडाउन से पहले सरकार उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ का पैकेज दे चुकी थी, लेकिन लॉकडाउन ने उद्योगों की कमर तोड़ दी है।
बढ़ाना होगा वित्तीय घाटा
पैकेज के लिए सरकार को रिजर्व बैंक से कर्ज लेना पड़ सकता है। इसके लिए उसे वित्तीय घाटा बढ़ाना होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के लिए बजट में 3.5 फीसदी घाटे का अनुमान लगाया था, लेकिन आरबीआई से कर्ज लेने के लिए इसे तीन से चार फीसदी और बढ़ाया जा सकता है। हर एक फीसदी घाटा बढ़ाने से सरकार को मिलेंगे सवा दो लाख करोड़ रुपये।
पहले भी बढ़ाया गया वित्तीय घाटा
2008 में लेहमन ब्रदर्स की वजह से आई वैश्विक मंदी से भारत भी प्रभावित हुआ था। तब केंद्र सरकार ने 2007-08 के बजट में वित्तीय घाटा 2.5 फीसदी को 2008-09 के बजट में 3.5 फीसदी बढ़ा कर 6 फीसदी कर दिया था।
उपभोक्ता वस्तुएं बनाने का जिम्मा कॉरपोरेट घरानों को देने का सुझाव
ऐसे सुझाव आए कि मौजूदा हालात में उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन की जिम्मेदारी पांच-छह बड़े कॉरपोरेट घरानों को दी जाए, ताकि मांग बढ़ने पर कमी न हो। इसके लिए किसानों को कॉरपोरेट घरानों से सीधा जोड़ा जाएगा ताकि खाद्य उत्पाद कारखानों तक पहुंचने में आसानी हो।
राज्यों को बाजार से 3.2 लाख करोड़ उधार लेने की इजाजत
वित्त मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को अप्रैल से दिसंबर के बीच बाजार से 3.2 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति दी है। रिजर्व बैंक को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को बाजार से कर्ज लेने की इजाजत देने का फैसला किया है।