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तोक्यो
रानी रामपाल की अगुआई वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने लगातार दो मैच जीतकर तोक्यो ओलिंपिक में शानदार वापसी की है। क्वॉर्टर फाइनल में भारत के सामने मजबूत ऑस्ट्रेलिया है। महिला टीम भारतीय पुरुष टीम से प्ररेणा लेकर अंतिम8 के मुकाबले में उतर रही है।

पहले क्वॉर्टर के बाद दोनों टीमें गोलरहित बराबरी पर
भारतीय महिला हॉकी टीम ने पहले क्वार्टर में शानदार खेल दिया। रानी रामपाल की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने हालांकि कोई गोल तो नहीं किए लेकिन उसने अपने खिलाफ गोल खाए भी नहीं। टीम ने अच्छी शुरुआत की। भारतीय टीम ने इस दौरान कई मौके बनाए लेकिन उसे गोल में नहीं तब्दील कर पाई। शर्मिला के पास 11वें मिनट में मौका था।

ग्रुप स्टेज पर कुल 13 गोल करने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ भारतीय महिला टीम ने शुरू के 15 मिनट में अब तक अच्छा खेला दिखाया है। रानी रामपाल के पास गोल का सुनहरा मौका था लेकिन वह इसमें असफल रहीं।

भारत की सकारात्मक शुरुआत
भारतीय महिला हॉकी टीम ने सकारात्मक शुरुआत की है। कप्तान रानी रामपाल शानदार तरीके से विपक्षी टीम के डी में पहुंचीं लेकिन वह फाइनल टच नहीं दे सकीं। पहले क्वार्टर के शुरुआती 3 मिनट में दोनों टीमें अब तक गोल नहीं कर सकी हैं। मैच के दूसरे ही मिनट में ऑस्ट्रेलिया की फॉरवर्ड खिलाड़ी ने भारतीय गोल पोस्ट पर अटैक किया लेकिन गोलकीपर सविता ने उन्हें शानदार तरीके से बचा लिया।

ग्रुप में पहले तीन मैच हारने के बाद टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। अनुभवी स्ट्राइकर वंदना कटारिया महिला हॉकी में ओलिंपिक में हैटट्रिक जमाने वाली देश की पहली खिलाड़ी बनी।

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भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने रविवार को इतिहास बना दिया। टीम सेमीफाइनल में पहुंची है। 1972 के म्यूनिख ओलिंपिक के बाद पहली बार टीम ने सेमीफाइनल में जगह बनाई है। अब बारी महिलाओं की है।

हालांकि 1980 के मॉस्को ओलिंपिक में टीम ने गोल्ड मेडल जीता था लेकिन तब सेमीफाइनल फॉर्मेट नहीं था। अपने साथियों की जीत से प्रेरणा लेकर आज महिला टीम क्वॉर्टर फाइनल में उतरेगी। टीम पहली बार क्वॉर्टर फाइनल में पहुंच कर पहले ही इतिहास रच चुकी है। लेकिन अब उसकी कोशिश इसे बेहतर करने की होगी। यह मैच भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े 8 बजे से खेला जाएगा।

भारतीय महिला हॉकी टीम ने अपने आखिरी दो मैचों में आयरलैंड और साउथ अफ्रीका को हराकर छह अंकों के साथ क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई। टीम पूल ए में चौथे स्थान पर रही। हर पूल से चार ही टीमें नॉकआउट स्टेज पर पहुंची थीं। टीम का ओलिंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1980 में मॉस्को में रहा था जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी।

बात ऑस्ट्रेलिया की करें तो रानी रामपाल की कप्तानी वाली टीम के लिए वह कड़ी चुनौती हो सकती है। टीम को हालांकि पेनल्टी कॉर्नर से गोल करने की आदत बनानी होगी। ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर मौकों का फायदा उठा नहीं पाई हैं।

अभी तक पेनल्टी कार्नर से गोल करने में भी भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा जिसमें ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर फीकी रहीं हैं। टीम ने अभी तक पांच पूल मैचों में 33 पेनल्टी कार्नर हासिल किए जिसमें से वह केवल चार मौकों को गोल में बदल सकी जिसमें सभी गोल वैरिएशन से हुए।