4 सेकंड देर न होता तो खत्म हो जाता चंद्रयान-3, इसरो ने बताया क्यों लेट हुई थी लॉन्चिंग

4 सेकंड देर न होता तो खत्म हो जाता चंद्रयान-3, इसरो ने बताया क्यों लेट हुई थी लॉन्चिंग

नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि अंतरिक्ष में मलबे और उपग्रहों से टक्कर होने की आशंका और उससे बचाव के लिए ही चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग चार सेकंड की देरी से की गई थी। वैज्ञानिकों ने अपनी सूझ-बूझ का परिचय देते हुए अगर ऐसा नहीं किया होता तो चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल नहीं हो पाती और शायद अंतरिक्ष में मलबे से टकरा गया होता।

बता दें कि पिछले साल 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मून मिशन के तहत चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण किया गया था। ढ्ढस्क्रह्र ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, एलवीएम3-एम4/ चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण को ष्टह्ररु्र विश्लेषण के आधार पर नाममात्र के चार सेकंड के लिए रोका गया था, ताकि परिचालन ऊंचाई के ओवरलैप होने के कारण अंतरिक्ष के मलबे और उनके कक्षीय चरण में इंजेक्ट किए गए उपग्रहों के बीच निकट संपर्क से बचा जा सके।
दरअसल, किसी भी सैटेलाइट या स्पेस्क्राफ्ट को लॉन्च करने से पहले वैज्ञानिक कोलिजऩ एवॉयडेंस एनालिसिस (ष्टह्ररु्र) करते हैं, ताकि अंतरिक्ष मलबे या किसी उपग्रह से संभावित टक्कर का पता लगाया जा सके। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को ही भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (ढ्ढस्स््रक्र) 2023 पेश किया, जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश की प्रगति का सालाना लेख-जोखा पेश करता है। इसे इसरो के सुरक्षित और सतत अंतरिक्ष संचालन प्रबंधन प्रणाली (ढ्ढस्4ह्ररू) द्वारा तैयार किया गया है।
रिपोर्ट में अंतरिक्ष अभियान के तहत होने वाले विभिन्न पर्यावरणीय खतरों जैसे क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्कापिंडों और कृत्रिम अंतरिक्ष वस्तुओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में इन जोखिमों को देखते हुए उपग्रहों के प्रक्षेपण वाहनों का आकलन करने, उपग्रहों के वायुमंडलीय पुन: प्रवेश और अंतरिक्ष में मलबों के विकास का अध्ययन करने के लिए निरंतर जागरूकता पर जोर दिया गया है।
बता दें कि चंद्रयान-3 से पहले क्कस्रुङ्क-ष्ट55/ञ्जद्गरुश्वह्रस्-2 की लॉन्चिंग भी 22 अप्रैल 2023 को एक मिनट की देरी की गई थी। इसके अलावा पिछले साल ही 30 जुलाई 2023 को क्कस्रुङ्क-ष्ट56/ष्ठस्-स््रक्र की लॉन्चिंग में भी एक मिनट की देरी की गई थी, ताकि इन दोनों रॉकेट्स और सैटेलाइट के सामने आने वाले अंतरिक्ष मलबे और अन्य उपग्रहों के टक्कर से उसे बचाया जा सके। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में कचरा दिखाई दिया था, जो किसी अन्य सैटेलाइट का टुकड़ा था। अगर पहले से निर्धारित समय पर चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हो गई होते तो उस कचरे से टक्कर हो जाती और मिशन अंजाम तक नहीं पहुंच पाता।
सोमनाथ ने भारत के अगले चंद्रमा मिशन चंद्रयान -4 के बारे में भी जानकारी साझा की। उनके मुताबिक, चंद्रयान-4 मिशन को चंद्रयान श्रृंखला की अगली कड़ी के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत 2040 में चंद्रमा पर उतरने का इरादा रखता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चंद्रमा का निरंतर अन्वेषण आवश्यक है "उन्होंने कहा,''चंद्रयान-4 इस उद्देश्य की दिशा में पहला कदम होगा। मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर एक यान भेजना, नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। अंतत:, जब भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए तैयार होगा, तो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रयोग करने और सुरक्षित लौटने के लिए चंद्रयान से चंद्रमा पर भेजा जाएगा।