छत्तीसगढ़ के लिए भी ऐतिहासिक होगी 18 वीं लोकसभा चुनाव!

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 दक्षिणापथ/छत्तीसगढ़ ( पवन देवांगन)। लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक चुका है। चुनावी सभा की शुरुआत छत्तीसगढ़ में शुरू हो चुकी है। आम लोगो में भाजपा के पक्ष में रुझान  दिख रहा है । पर छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रति ऐसा माहौल था। इसके बावजूद भूपेश सरकार को बाहर का जाना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे मोदी फैक्टर की जीत कहा। 
आज मोदी का जादू पहले से ज्यादा बोल रहा है। ऐसा लगता है, जैसे छत्तीसगढ़ का आमजन मोदी को तीसरा अवसर देने तैयार है। 
हकीकत के धरातल पर देखें, तो यह सच है कि महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। रिश्वतखोरी पर लगाम नहीं लगी है। पर छत्तीसगढ़ की यह पीढ़ी नए भारत और विकसित छत्तीसगढ़ को उदय होते देखना चाहती है। कमोबेश अधिकांशजन मोदी पर भरोसा करते दिख रहे हैं। 
गौरतलब है, राजनीति संभावनाओं का खेल होता है। लिहाजा किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 2024 का लोकसभा चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक होगा। आपको पता है, भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव अप्रैल और मई में होने वाली है।
-पहले चुनाव में छत्तीसगढ़ में थी 7 लोकसभा सीटें
यह जानने योग्य है कि देश में जब पहली बार चुनाव हुए, तब छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 7 सीटें थीं। इनमें सरगुजा-रायगढ़, बिलासपुर-दुर्ग-रायपुर और दुर्ग-बस्तर एक सीट हुआ करती थी। 1957 में बलौदाबाजार सीट बनी। जिसमें मिनीमाता पहली बार सांसद बनी। तब रायगढ़ सीट नहीं बना था। 1962 में लोकसभा की 10 सीटें बनीं। इसमें रायगढ़, महासमुंद और राजनांदगांव भी सीट बनी। 1971 में बलौदाबाजार सीट का विलोपन हुआ और कांकेर नई सीट बनी। तब दुर्ग जिले का बड़ा हिस्सा कांकेर लोकसभा में आता था। 
-अमेरिका मीडिया में भारत का चुनाव
  उल्लेख करना लाज़मी होगा, न्यूयार्क टाइम्स के एक जर्नलिस्ट ने लिखा है, कि भारत के मतदाता उतने सजग, जागरूक व राष्ट्रवादी नहीं है, जीतने यूएसए, यूरोप और दुनिया के अन्य लोकतांत्रिक देश है । अखबार में छपे आर्टिकल में यह भी कहा गया है कि भारत के मतदाता अपने छोटे छोटे स्वार्थ को केंद्र में रखकर वोट करते है। 
संभव है, यह कहना कुछ हद तक सही हो; मगर यह भी सच है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और बीते 75 सालों में लोकतंत्र की जड़े लगातार गहरी होते गई है। भारत का नागरिक अपने मताधिकार की कीमत को जानता है। भगवान राम के समय से प्रजातंत्र भारत की आत्मा में समाया हुआ है। पश्चिम के देश भारत की बढ़ती ताकत को जानबूझकर  कम आंकते हैं। फिर भी लोकतांत्रिक मूल्यों को पुष्ट करना एक एक आदमी का दायित्व है। इस बारे में आप जैसे सभी बौद्धिकजनों को सोचना चाहिए।
बहरहाल, अपने चुनावी इतिहास में भाजपा इस समय सबसे ज्यादा आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहा है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी रण का आगाज कर दिया है। भाजपा में चुनावी बैठक लगातार हो रहे हैं। 
उसके बनिस्बत छत्तीसगढ़ कांग्रेस, विधानसभा चुनाव के पराजय से उबर नहीं पाई है।  अकेले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमलावर तेवर में दिखते हैं। सिंहदेव बाबा, ताम्रध्वज साहू सियासी हाशिए पर है। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चरणदास महंत के बयान यदाकदा सामने आते हैं। 
-कइयों ने छोड़ी कांग्रेस
रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस की दूरी बनाने के बाद छत्तीसगढ़ के कई कांग्रेसी पार्टी छोड़कर भाजपा में आ गए है। भाजपा के रणनीतिकार इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने स्वीकार किया है कि कांग्रेस के नेताओं से भाजपा के लोग दल बदल के लिए संपर्क कर रहे है। भूपेश बघेल भी शुरू से ऐसा आरोप लगाते आ रहे हैं। 
-यह मोदी का चुनाव–साय 
बहरहाल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपनी एक सभा में कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को अभी दो माह हुए हैं । परंतु मोदी की गारंटी और जनता को किए गए सभी वादे पूरे करने सरकार संकल्पित है । यह मोदी का चुनाव है । छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों में कमल खिलाना है।
 मोदी की गारंटी में भाजपा ने कदम बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री आवास का निर्णय ले लिया गया है। दो साल के धान का बकाया बोनस का भुगतान कर दिया गया है। 21 क्विंटल पर धान खरीदी हुई है।  31 सौ रुपए क्विंटल की  अंतर राशि शीघ्र दी जाएगी। किसान इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।वही महतारी वंदन योजना के तहत 8 मार्च को पहली किश्त भी जारी कर दी जाएगी।