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दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जयंती मनाई गई ..

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दुर्ग। आज दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की 128 वी जयंती पर जनपद पंचायत दुर्ग में  स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। प्रतिमा स्थल पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसमें अनेक वक्ताओं ने दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जीवनी पर प्रकाश डाला।  दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार ने समाज को एक नई दिशा दी है। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने समाज में चेतना जगाई।  दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार की जयंती गांव-गांव में मनाने की जरूरत है। हमारी नई पीढ़ी को उनके आदर्शों के बारे में बताना जरूरी है। दाऊ ढालसिंह दिल्लीवार के पद चिन्हों पर आज समाज को चलने की आवश्यकता है।

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जानिए कौन है दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार ..
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्व विधायक दुर्ग दाऊ ढाल सिंह दिल्लीवार का योगदान आजादी के आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत के जनहित कार्यों में रहा है। उनका जन्म 27 नवंबर 1897 को ग्राम-पिरीद जिला बालोद छत्तीसगढ में हुआ था।1921 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए थे। 1926 में क्रांतीकारी युवक का नाम दिया गया (मात्र 24 वर्ष की उम्र में)। 1930 में नमक एवं जंगल सत्याग्रह में शामिल हुए,1935 में कांग्रेस सेवा दल की सदस्यता ग्रहण की। 1937 में दुर्ग जिला लोकल बोर्ड के चेयर मेन एवं प्रांतिय कांग्रेस के सदस्य में चयन हुआ। 1939 त्रिपुरी जबलपुर कांग्रेस अधिवेशन में शामिल तथा गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस तथा सीता रमैय्या के साथ जेल आंदोलन में शामिल हुए। 1940 सत्याग्रही तैयार करने मंटग (पाटन) क्षेत्र का भ्रमण किया, 12 मई 1941 को गांधी चौक दुर्ग की सभा से बलपूर्वक अंग्रेजो द्वारा गिरफ्तार किया गया।

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1941 से 1945 तक नागपुर, दमोह, जबलपुर के जेलों में रहे ।जेल में महान क्रांति दूत संत विनोभा भावे और अब्दुल कलाम आजाद लंबे समय तक एक ही कोठरी मे रहे।1948 में प्रकाशित नवभारत जयपुर कांग्रेस अंक के पृष्ठ 53 में दाऊजी मध्यप्रांत के प्रधान नक्षत्र की संज्ञा दी गई।1955 से 1962 तक दुर्ग जनपद सभा के प्रथम अध्यक्ष। 1961 में अविभाजित दुर्ग जिले (राजनांदगांव, कवर्धा, बेमेतरा, खैरागढ़, बालोद तहसील) के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गये। 1962 से 1967 तक दुर्ग विधानसभा से विधायक बने।सन् 1967 मे दाऊ जी के सहप्रयासों से विशाल भूखंड पर साइंस कालेज दुर्ग का भवन तैयार हुआ। दाऊ जी की पहल पर पुराना बस स्टैंड स्थित मजार में उर्स के मौके पर अखिल भारतीय स्तर पर कव्वाली आयोजन की शुरूआत हुई जो आज तक बदस्तूर जारी है। 1966 से जीवन पर्यन्त केन्द्रीय दिल्लीवार कूर्मि क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष रहे। 10 अगस्त 1969 को महाप्रयाण हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय अध्यक्ष योगेंद्र बेलचंदन, उपाध्यक्ष केशव बंटी हरमुख, महामंत्री ललित कुमार देशमुख, कोषाध्यक्ष दिलीप देशमुख, संरक्षक चंद्रिका प्रसाद देशमुख, काली शरण देशमुख, सहायक मंत्री चुम्मन लाल देशमुख, देशमुख कार्यालय मंत्री किसन देशमुख, युवा अध्यक्ष हेमंत देशमुख, कार्यकारिणी सदस्य ढालसिंह देशमुख, विजय बेलचंदन, ओंकारेश्वर हरमुख भिलाई नगर अध्यक्ष कुबेर देशमुख, दुर्ग नगर इकाई अध्यक्ष राकेश हरमुख, पूर्व अध्यक्ष डॉ राजेंद्र हरमुख पूर्व कोषाध्यक्ष मिलाप देशमुख, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन, दरबारी लाल देशमुख एवं अधिक संख्या में समाज के व्यक्ति उपस्थित थे।

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