-अहमदाबाद विमान हादसा
अहमदाबाद । एयर इंडिया विमान हादसे में जान गंवाने वालों में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल हैं. 12 जून का दिन उनके लिए अशुभ साबित हुआ है. 12 जून का कुल योग 9 बनता है और 9 नंबर को विजय रूपाणी अपना लकी नंबर मानते थे. दरअसल, विजय रूपाणी को नंबर-9 से काफी ज्यादा लगाव था. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जाता है कि उनकी पहले स्कूटी से लेकर घर पर मौजूद सभी कारों के नंबर का कुल योग 9 ही होता था. लेकिन यही लकी नंबर उनके लिए बेहद अनलकी साबित हो गया.
दरअसल, विजयी रूपाणी 1206 नंबर को अपना भाग्याशाली नंबर मानते थे. इसका कुल जोड़ नंबर 9 था. राजकोट में रहने वाले विजय रूपाणी के कॉलेज के समय के मित्र धर्मेंद्र सिंह राठौर ने बताया, '' विजय रूपाणी धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे. वे लकी नंबर में बहुत विश्वास करते थे और 9 उनका लकी नंबर था. उनके स्कूटर और गाडिय़ों के नंबर का योग हमेशा 9 ही होता था. लेकिन गुरुवार को जब उनका विमान दुर्घटना में दुखद निधन हो गया है तो 12 जून (1206) का दिन उनके लिए अनलकी साबित हुआ. क्योंकि 12 जून का योग भी 9 होता है.
विजय रूपाणी को उनके पारिवारिक मित्रों के साथ लंदन के लिए 5 जून और 10 जून को ही यात्रा करना थी. लेकिन राजनीतिक व्यस्तता के चलते पहले 5 जून की बुकिंग कैंसिल हुई और उसके बाद 10 जून को भी विजय रूपाणी का टिकट रद्द करना पड़ा. इसके बाद 12 जून को किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि वे हमेश के लिए सबसे दूर हो गए. यहां उनका लकी नंबर 9 दुर्भाग्य का कारण बन गया. 10 जून को ही लंदन पहुंचे उनके साथी नितिन भारद्वाज और धनसुख भंडारी वापस भारत लौट आए हैं. उनकी पत्नी अंजलि भंडारी भी अहमदाबाद पहुंच चुकी हैं.
राजकोट के धर्मेंद्र सिंह आर्ट्स कॉलेज से छात्र राजनीति शुरू करने वाले विजय रूपाणी राजकोट महा नगरनिगम में कॉरपोरेटर और फिर राजकोट 1 विधानसभा सीट से विधायक बने. इसके बाद 2016 में वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने. संगठन के लिए कार्य करते हुए सौराष्ट्र क्षेत्र में भाजपा को मजबूत करने में विजय रूपाणी की अहम भूमिका रही. राजकोट और सौराष्ट्र के विकास में विजय रूपाणी का बड़ा योगदान रहा है. यही वजह है कि आज राजकोट में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के निधन पर हर किसी की आंखें नम हैं.
अहमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद उनके निधन से गृह नगर राजकोट में शौक की लहर है. डीएनए टेस्ट के बाद अन्य यात्रियों सहित उनके शव की पहचान की जा सकेगी. इसके बाद गृह नगर राजकोट में ही उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी.
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