छत्तीसगढ़

सामूहिक सहभागिता का मॉडल अपनाकर महिला रेंजर ने की वन व वन्य जीवों की सुरक्षा

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-ग्रामीण महिलाओं को किया सशक्त निभाई आत्मनिर्भर बनाने में भूमिका युवकों में जगाया सेवा का नजरिया
बालाघाट।
जब काम बड़ा हो और रास्ते कठिन हो तो खास तरह की युक्ति सफलता दिलाती है और अगर वहीं काम किसी महिला के कंधों पर हो तो चुनोतियाँ और भी बढ़ जाती है। इस बड़ी चुनोती को कान्हा नेशनल टाइगर पार्क के इर्द-गिर्द की रेंज और कोर इलाके में रहीं महिला रेंजर श्रीमती सीता जमरा ने बखूबी अंजाम दिया है। 9 वर्षो से कान्हा नेशनल टाइगर पार्क कोर और बफर जोन में रेंजर के तौर पर सेवा करने वाली श्रीमती जमरा ने वन और वन्य जीवों की सुरक्षा में सामूहिक सहभागिता का मॉडल अपनाकर सशक्ति के साथ सफलताएं अर्जित की है। उन्होंने वनों पर आधारित ग्रामीणों की जीविका को समझते हुए जनजातीय महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें आत्मनिर्भर करने की दिशा में कदम बढ़ाएं और नव युवकों में सेवा का जज़्बा जगाते हुए वनों से सटे गांवों में लायब्रेरी की संकल्पना की शुरुआत की। उन्होंने बैगा महिलाएं जो बैगा संस्कृति पर आधारित परिधान और आभूषण मालाएं बनाने में कुशल महिलाओं के समूहों को बड़े स्तर पर मंच देने के प्रयास किये। ऐसे ही गांव के जो युवा रोजगार की तलाश में जुटे उनके लिए गांव में लायब्रेरी स्थापित की। इससे ग्रामीणों में उनके प्रति विश्वास जताया। फिर विभाग की योजनाओँ व नीति अनुसार सहभागिता से कार्य संपादित किये। साथ ही अपना मुखबिरी का तंत्र मजबूत किया।
-प्रवासी सम्मेलन और जी-20 कार्यक्रम में बैगा ज्वैलरी स्टॉल लगाने में सहयोग...
समनापुर परिक्षेत्र के बाँधातोला में बाघिन आजीविका समूह की बैगा महिलाएं जो बैगाओं की जीवन शैली व पारंपरिक आभूषण बनाने के कार्य में जुटी थी। उनके इस हुनर को ग्लोबली मंच प्रदान करने में बड़ी भूमिका अदा की। वर्ष 2023 में इंदौर में आयोजित हुए प्रवासी दिवस सम्मेलन और इसी वर्ष भोपाल में हुए जी-20 सम्मेलन में समूह द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई। पहली बार आयोजित हुई ऐसी प्रदर्शनी रेंजर श्रीमती जमरा के मार्गदर्शन में आयोजित हुई। इसके बाद महिलाओं का हौसला बढ़ा और दोगुने उत्साह से इस कार्य को दक्षता के साथ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ी।
-परिक्षेत्र स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में पहली बार महिलाएं कबड्डी के खेल में उतरी...
श्रीमती जमरा ने विभागीय दायित्वों के साथ महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में हमेशा प्रेरित करने का कार्य किया है। उनके निर्देशन में ही वर्ष 2021 में पहली बार ग्रामीण महिलाओं ने पहली बार परिक्षेत्र स्तरीय खेल प्रतियोगिता कबड्डी में शामिल हुई। करीब 13 रेंज की ईको विकास समितियों की महिलाओं ने सहभागिता प्रारम्भ की। जिससे महिलाओं में आत्मविश्वास जागा और अब निश्चित रूप से खेलो में आये आयी है।
-ग्रामीण युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर रुझान बढ़ाया...
श्रीमती जमरा ने सामूहिक सहभागिता के मकसद से ग्रामीण युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी के लिए 5 गांवो में वाचनालय प्रारम्भ किये। ऐसा बालाघाट जिले में पहला नवाचार बना, जिसे अन्य परिक्षेत्रों में शुरू किया गया। उन्होंने 25 सितंबर 2022 को बहेराखार में कान्हा जंगल मित्र वाचनालय प्रारम्भ किया। इसके बाद पंडरा पानी, जैरासी और सरईपतेरा में भी शुरुआत हुई। इस लाइब्रेरियों में व्यापम द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा एमपी पीएससी, एसएससी, बैंक कैशियर  जैसे अनेकों परीक्षाओ का स्टडी मटेरियल व पत्रिकाएं उपलब्ध कराई। इन वाचनालय में पढ़ने वाले युवाओ का चयन भी हुआ है और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित भी हुए है। इन वाचनालयों के बारे में जैसे ही कई पर्यटकों को जानकारी मिली, वे स्वयं भी आगे आये और पुस्तकें दान की।

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