दुर्ग-भिलाई

संस्कृत शिक्षक ने लिखे 100 से अधिक माननियों को संस्कृत में नववर्ष एवं रामनवमी की शुभकामनाओं के साथ पत्र

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दुर्ग। केंद्रीय विद्यालय दुर्ग के संस्कृत शिक्षक ने 100 से अधिक जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों शिक्षाविदों को भारतीय नव संवत्सर की बधाई देते हुए पत्र लिखा है। डॉ अजय आर्य ने बताया कि उन्हें यह प्रेरणा संसद की उसे चर्चा से मिला जिसमें सांसद दयानिधि मारन जी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी के समक्ष संसद की कार्यवाही को संस्कृत भाषा में प्रस्तुत करने पर विरोध करते हुए यह कहा था कि संस्कृत किसी की भाषा नहीं है संस्कृत किसी के व्यवहार में नहीं है इसलिए टैक्स पेयर का पैसा इसके लिए बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसलिए संस्कृत को अपने व्यवहार में अधिक से अधिक लाने के लिए उन्होंने यह पत्र लिखा है। ओम बिरला जी सहित सांसद दया निधि मारन को भी पत्र लिखा है। 
-किन्हें लिखा गया है पत्र..
भारतीय नव संवत्सर एवं रामनवमी की बधाई देते हुए मंगल कामना की गई है और यह पत्र उन्होंने 20 से अधिक मुख्यमंत्रियों, राज्यपालों और केंद्र सरकार के मंत्रियों को लिखा है। 
जिन्हें संस्कृत में पत्र लिखा गया है उनमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, आरिफ मोहम्मद खान राज्यपाल बिहार, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, आचार्य देवव्रत राज्यपालगुजरात, बाबा रामदेव पतंजलि सहित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, राज्यपाल  रमन डेका,  ओपी चौधरी,  श्याम बिहारी जायसवाल, विजय बघेल,  गजेंद्र यादव, महापौर श्रीमती अलका बाघमार आदि विशिष्ट जनप्रतिनिधि शामिल है। पत्र में भारतीय नव संवत्सर की बधाई देते हुए मंगल कामना की गई है। 

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-कैसे लिखते हैं पत्र...
डॉ अजय आर्य बताया कि कई बार सामाजिक पारिवारिक और व्यावसायिक कार्यों के चलते समय कम मिल पाता है। मैंने गुरुकुल प्रभात आश्रम मेरठ में पढ़ाई की है। इसलिए जल्दी उठना और सादगी से रहना मेरे जीवन व्यवहार का मूल मंत्र है। जल्दी उठने का लाभ यह है कि कई बार कुछ कार्य जो रात में छूट जाते हैं उन्हें सुबह उठकर में पूरा कर लेता हूं। मैंने कुछ पत्र सुबह 4:00 बजे उठकर लिखे हैं। 
संस्कृत प्रेमियों के सहयोग से अगली बार या इस वर्ष दीपावली एवं दशहरे के पर्व पर 1000 पत्र लिखने का लक्ष्य बनाया है। संस्कृत में पत्र लिखने का मात्र उद्देश्य यही है कि भारतीयता की पहचान संस्कृत और संस्कृति से ही है। वर्तमान समय में हम सभी इन दोनों से दूर होते जा रहे हैं। हम मंत्र बात करते हैं किंतु उसका अर्थ नहीं समझते। पत्र आदि के लिखने से संस्कृत व्यवहार का हिस्सा बनेगी। और संस्कृति को पढ़ने समझने को अवसर मिलेगा। संस्कृत विलुप्त होने से बचेगी तथा हम सभी को इसके सरल शब्द संस्कृत सीखने के लिए आकृष्ट करेंगे। 
मैंने स्वयं अपने घर में गुरुवार गुरुकुल के नाम से 1 घंटे की संस्कृत कक्षा आरंभ की है। इस कक्ष में संस्कृत, संस्कृति और मानवीय व्यवहार के लिए आवश्यक मूल्यों को सीखने की कोशिश करता हूं। मेरी यह कक्षा पूर्णता निशुल्क और निस्वार्थ भाव से संचालित होती है। इस कक्षा में ऑनलाइन ऑफलाइन छात्र-छात्राएं जुड़ती हैं। इस कक्ष में कांकेर रायपुर, कवर्धा, दिल्ली एवं हैदराबाद जैसे स्थान से जिज्ञासु जुड़ते हैं।

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