होम / दुर्ग-भिलाई / आयुक्त के नए फरमान का पूर्व महापौर वर्मा ने जताया विरोध, कहा जनविरोधी
दुर्ग-भिलाई
दुर्ग। दुर्ग नगर निगम से संबंधित समस्त सेवाओं में प्राप्त होने वाले आवेदन पर वर्तमान वित्तीय वर्ष का भुगतान टैक्स रसीद की कॉपी सलग्न करने को अनिवार्य करने संबंधी आयुक्त सुमित अग्रवाल के निर्देश को ‘तुगलकी फरमान’ करार देते हुए पूर्व महापौर आर एन वर्मा ने कहा है कि टैक्स जनता पटाती है चालू वित्तीय वर्ष मार्च तक होता है। नगर निगम आम लोगों की सेवा के लिए है, आम लोगों के जनजीवन में कठिनाई पैदा करने के लिए नहीं। श्री वर्मा ने कहा है यदि किसी को राशन कार्ड भी बनवाना है तो उसे प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद संलग्न करनी होगी। यदि किसी ने प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद संलग्न नहीं की है तो क्या उसके नल जल, पेंशन, राशन आदि बुनियादी अधिकारों पर डंडे मार दी जाएगी। क्या लोक कल्याणकारी संस्था के लिए यह न्याय उचित कदम है। नगर निगम आम लोगों की सेवा के लिए बनी है इसे व्यापार का माध्यम ना बनाया जाए। श्री वर्मा ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष मार्च तक समाप्त होता है, लोग टैक्स इसी समय पटाते हैं। ऐसे में करंट वर्क का रसीद वे किस तरह ला पाएंगे।
मालूम हो कि निगम आयुक्त द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि निकाय की राजस्व आय में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। नगर निगम दुर्ग के सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निकाय से संबंधित समस्त दस्तावेजों को अनिवार्य दस्तावेज की श्रेणी में रखा जाए और जरूरत पड़ने पर प्रस्तुत भी किया जाए।
आयुक्त के इस निर्देश को कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों के पार्षदों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने गलत ठहराया है। ऐसा लगता है कि इस निर्णय को अमल में लाने के पहले आयुक्त ने नगर निगम के पदाधिकारियों को विश्वास में नहीं लिया है। आमजनों का भी कहना है गरीब की जिंदगी कठिन बनाने वाले इस फरमान का विरोध होना चाहिए। यद्यपि टैक्स पटाना हर नागरिक का फर्ज है, किंतु इसे कसौटी के रूप में रखा जाना अनुचित है। इससे लोक कल्याणकारी स्वायत्त संस्था की मूल भावना दूषित होती है । ऐसा निर्णय लेने वाले को निकायों की बेसिक धारणा का पता नहीं है।
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