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यह कैसा किसान पुत्र की सरकार है जो किसानों का ही गला घोंटने पर आमादा है ?

दक्षिणापथ, दुर्ग । राज्य सरकार ने पिछले साल की तरह इस खरीफ वर्ष 2021-22 में भी धान की खरीदी 1 दिसंबर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है जो छत्तीसगढ़ के लाखों धान उत्पादक किसानों के हित में नहीं है।
बघेल सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के अध्यक्ष एड. राजकुमार गुप्त ने कहा है कि पहले धान की सरकारी खरीदी 1 नवंबर से शुरू की जाती रही है लेकिन राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू करने के बाद बघेल सरकार एक माह बाद 1 दिसंबर से धान की सरकारी खरीदी कर रही है । मंच के अध्यक्ष ने बघेल सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि वह विलंब से धान खरीदी करने के पीछे उसकी मंशा लगभग 1000 करोड़ रूपयों की बचत करना है।
विलंब से धान खरीदी शुरू करने का किसानों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का खुलासा करते हुए राजकुमार गुप्त ने कहा है कि धान की कटाई मिंजाई करने के 1 माह बाद बेचने से 5 से 10% तक सूखत के कारण वजन में कमी आ जायेगी, सरकार ने 1 करोड़ टन धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है, समर्थन मूल्य के आधार पर गणना करने से किसानों को सूखत के कारण प्रति टन लगभग 1 हजार रूपये की आर्थिक क्षति होगी और पूरे प्रदेश में सरकार को धान बेचने वाले किसानों को लगभग 1 हजार करोड़ की आर्थिक क्षति होगी। इसके अलावा एक माह तक चोरी, मौसम, पक्षी चूहों आदि से कटे फसल की सुरक्षा करने में किसानों को लगभग 500 करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इस प्रकार छत्तीसगढ़ के सरकार को धान बेचने वाले लाखों किसानों को लगभग 1500 करोड़ रूपयों की आर्थिक क्षति हो सकती है।
मंच के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री बघेल पर निशाना साधते हुए कहा है कि वे कैसे "किसान पुत्र" हैं जो किसानों को ही 1500 करोड़ की क्षति पहुंचाने पर आमादा हैं ? उन्होंने आगे कहा है कि मुख्यमंत्री 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू करने के सरकार के निर्णय का मासूम बचाव करते हुए कहा है कि 1 नवंबर को न्याय योजना की किश्त का भुगतान करने से किसानों की आर्थिक जरूरतें पूरी हो जायेगा लेकिन सवाल सिर्फ किसानों की आर्थिक जरूरत पूरी होने का नहीं है सवाल यह है कि एक माह विलंब से धान खरीदी शुरू करने के कारण किसानों को 1500 करोड़ की आर्थिक क्षति होगी उसे कैसे पूरा किया जा सकेगा। किसान मानसिक और शारीरिक यंत्रणा झेलेंगे उसका क्या ?