छत्तीसगढ़ चेम्बर एवं कैट सी.जी.चेप्टर के संयुक्त तत्वाधान में भारत ई-कामर्स पोर्टल के संबंध में कार्यशाला…

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RO.NO. 12879/25

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निर्भया केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर फैसला सुना दिया है, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक के निर्णय को चुनौती दी गई है। याचिका पर फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को अपने सभी कानूनी विकल्प सात दिन के भीतर उपयोग करने का समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र की वह याचिका भी खारिज कर दी है जिसमें सभी दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की गई थी। इस याचिका पर रविवार को तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली विशेष सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान कोर्ट रूम में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद रहे।कोर्ट में क्या-क्या हुआ...
  • जस्टिस कैत ने कहा कि गृहमंत्रालय यह याचिका डालने के लिए सक्षम है। दिल्ली कैदी नियम 834 और 836 में दया याचिका के बारे में नहीं लिखा है।
  • जस्टिस कैत ने कहा कि मैं ट्रायल कोर्ट की राय से सहमत नहीं हूं कि कारागार नियमों में 'आवेदन' शब्द एक सामान्य शब्द है जिसमें दया याचिका भी शामिल होगी।
  • जस्टिस कैत ने आगे कहा कि सभी दोषी बर्बरता से दुष्कर्म और हत्या करने के दोषी पाए गए हैं जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया था।
  • ये बात कम से कम यह विचार करने के लिए प्रासंगिक है कि क्या मौत की सजा के निष्पादन में देरी दोषियों की देरी की रणनीति के कारण होती है।
  • जस्टिस कैत आगे बोले कि मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि सभी दोषियों ने पुनर्विचार याचिका दायर करने में 150 दिन से भी ज्यादा का समय लिया। अक्षय ने तो 900 दिन से भी ज्यादा समय के बाद अपनी पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
  • सभी दोषी अनुच्छेद 21 का सहारा ले रहे हैं जो उन्हें आखिरी सांस तक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • सुप्रीम कोर्ट में भी दोषियों के भाग्य का फैसला उसी आदेश से किया गया है। मेरी राय है कि उनके सभी डेथ वारंट को एक साथ निष्पादित किया जाना है।
  • जस्टिस कैत ने आगे कहा कि दोषियों ने सजा में देरी करने की रणनीति अपनाई है। इसलिए मैं सभी दोषियों को 7 दिनों के भीतर उनके कानूनी उपचार के लिए निर्देशित करता हूं, जिसके बाद अदालत को उम्मीद है कि अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करना होगा। इसके बाद अदालत ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश से अलग जाकर फैसला लेने से इनकार कर दिया।

मंगलवार को कोर्ट में क्या हुआ

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने मंगलवार को निर्भया के माता-पिता की अर्जी पर कहा था कि केंद्र की याचिका पर जल्द फैसला आएगा। इससे पहले दोषियों की फांसी पर 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। इससे 1 फरवरी को दी जाने वाली दोषियों की फांसी टल गई थी। केंद्र सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 17 जनवरी को चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था। इससे पहले, अदालत ने 7 जनवरी को फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी। दोषियों के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि फांसी को टाला जाए, क्योंकि अभी उनके कानूनी उपचार के मार्ग बंद नहीं हुए हैं। दोषी मुकेश और विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास से खारिज हो चुकी है। दोषी पवन के पास अभी ये दोनों याचिकाएं दायर करने का विकल्प है। अक्षय की दया याचिका 1 फरवरी को दाखिल हुई थी और अभी लंबित है।

चारों दोषियों की अभी यह है स्थिति

  • मुकेश सिंह और विनय शर्मा के सभी विकल्प समाप्त।
  • अक्षय सिंह की सिर्फ दया याचिका राष्ट्रपति के पास विचाराधीन।
  • पवन गुप्ता के पास सुधारात्मक और दया याचिका का विकल्प।