पानी दुषित होने की शिकायत पर जिला पंचायत अध्यक्ष शालिनी ने किया निस्तारी तालाब का निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश…

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नई दिल्ली । लॉकडाउन में खून की कमी को लेकर स्मार्ट की टीम ने शहर के ब्लड बैंकों की पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया। थैलेसीमिया और एचआईवी के मरीजों के लिए भी खून नहीं है। लॉकडाउन के बाद 22 मार्च से डोनरों की संख्या लगभग शून्य है और ब्लड बैंक की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। लॉकडाउन के बाद उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ अन्य कई प्रदेशों में होम कलेक्शन यूनिट काम कर रही है। इसके लिए मोबाइल वैन चलायी जा रही हैं लेकिन बिहार सरकार का ध्यान इस दिशा में नहीं है। पटना एम्स मोबाइल ब्लड कलेक्शन यूनिट तैयार कर रहा है लेकिन उसमें भी एक सप्ताह का समय लग सकता है। शहर के पीएमसीएच, एनएमसीएच, रेडक्रॉस सोसायटी और जयप्रभा ब्लड बैंक में खून का कलेक्शन नहीं हो पाने से स्थिति चिंताजनक हो रही है। मौजूदा समय में थैलेसीमिया, एचआईवी, गर्भवती महिलाओं के साथ दुर्घटना वाले मरीजों के लिए खून की मांग अधिक है। आंकड़ों की बात करें तो लगभग सभी ब्लड बैंकों में स्टॉक सामान्य दिनों की अपेक्षा 50 प्रतिशत से भी कम हो गया है।
पीएमसीएच: सामान्य दिनों में 1500 यूनिट का कलेक्शन होता था जो अब आधा हो गया है।
एनएमसीएच: लॉकडाउन के बाद डोनर नहीं के बराबर हैं। स्टॉक तेजी से कम हो रहा है।
आईजीआईएमएस: 60 यूनिट कलेक्शन करने वाले ब्लड बैंक में अब 6 यूनिट ही बचा है।
जयप्रभा: रोज 30 यूनिट का कलेक्शन अब 10 हो गया है। 700 यूनिट स्टॉक 200 पर पहुंच गया।
रेड क्रॉस: सामान्य दिनों में 200 यूनिट स्टॉक होता है लेकिन अब 60 यूनिट है।
एम्स: 500 यूनिट स्टॉक अब 300 आ गया है। इमरजेंसी में डोनर को घर से बुला रहे हैं।