महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने प्रयास, केवल खाद ही नहीं प्लानिंग कर करे कार्य: दुबे

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RO No.12822/158

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नईदिल्ली। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों की बैंक में भर्ती को लेकर जारी विवादास्पद परिपत्र को वापस ले लिया है। बैंक ने जारी एक बयान में कहा कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये उसने अपने उस परिपत्र को ठंडे बस्ते में डाल दिया है जिसमें गर्भवती महिला उम्मीदारों को लेकर दिशा निर्देश दिये गये थे। इसको लेकर पहले से प्रभावी निर्देश जारी रहेंगे। बैंक के परिपत्र में कहा गया था कि तीन महीने से अधिक महीने की गर्भवती महिलाओं को बैंक की नौकरियों के उम्मीदवार के तौर पर अस्थायी तौर पर अनफिट माना जायेगा और उसको उम्मीदवार को डिलिवरी के चार महीने के बाद सेवा देने की अनुमति दी जा सकेगी। स्टेट बैंक ने हाल ही में बैंक में भर्ती से जुड़े फिटनेस मालकों की समीक्षा की थी जिसमें गर्भवती महिला उम्मीदवार को लेकर जारी पहले के निर्देश भी की समीक्षा की गयी थी। इस समीक्षित दिशा निर्देशों में स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न पैरामीटरों को अधिक स्पष्ट किया गया। ये पैरामीटर वे थे जो या तो बहुत पुराने हो चुके थे या स्पष्ट नहीं है। इसको कुछ मीडिया ने महिलाओं के प्रति भेदभाव वाला बताया था। बैंक ने कहा कि वह अपनी महिला कर्मियों की देखरेख और सशक्तिकरण के प्रति हमेशा से अतिसक्रिय रहा है। बैंक के कुल कार्यकाल में महिलाओं की भागीदारी अभी एक चौथाई है। बयान में कहा गया है कि कोविड के दौरान सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप महिला कर्मचारियों को भी कार्यालय में आने से राहत दी गयी थी और उन्हें घर से काम करने की अनुमति दी गयी थी।