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अवॉर्ड के लिए पैसे देने की बात कबूल कर ऋषि कपूर ने मचा दी थी सनसनी, अमिताभ से भी हो गई थी अनबन

मुंबई. ऋषि कपूर ने एक साल पहले आज ही के दिन यानी 30 अप्रैल को दुनिया को अलविदा कह दिया था। वो कैंसर से जूझ रहे थे। ऋषि कपूर एक बेहतरीन अभिनेता तो थे ही, साथ ही वो अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते थे। अपनी जिंदगी से जुड़ी तमाम बातों का खुलासा उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘खुल्लम खुल्ला’ में किया है।

कपूर खानदान की वजह से उन्हें मिली प्रीविलेज हो या अवॉर्ड शो खरीदने की बात हो उन्होंने सबकुछ कबूल किया। आमतौर पर सेलिब्रिटीज इस पर बात करना पसंद नहीं करते लेकिन ऋषि कपूर ने इन बातों को दुनिया के साथ साझा किया।

अवॉर्ड के लिए दिए पैसे
1970 में ऋषि कपूर ने अपने पिता राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ से बतौर बाल कलाकार डेब्यू किया। इसके तीन साल बाद 1973 में मुख्य अभिनेता के तौर पर उन्होंने फिल्म ‘बॉबी’ की। इसमें उनके साथ डिंपल कपाड़िया थीं। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म हिट रही थी। ऋषि कपूर को फिल्म के लिए एक मशहूर मैगजीन का अवॉर्ड मिला था। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने 30 हजार रुपये दिए थे। हालांकि बाद में उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया था। जबकि उस वक्त अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘जंजीर’ आई थी। अमिताभ को उम्मीद थी कि अवॉर्ड उन्हें दिया जाएगा। ऋषि कपूर ने बताया था कि फिल्म ‘कभी कभी’ के दौरान उनके बीच बातचीत नहीं होती थी और ये शायद उस वजह से था कि उन्होंने अवॉर्ड अपने नाम कर लिया था।

अमिताभ से नाराजगी
किताब में ऋषि कपूर लिखते हैं, ‘मुझे लगता है कि अमिताभ इसलिए नाराज थे क्योंकि मैंने “बॉबी” के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता था। मुझे यकीन है कि उन्हें लगा होगा कि “जंजीर” के लिए उन्हें पुरस्कार मिलना चाहिए था, जो कि उसी साल रिलीज हुई थी। मुझे यह कहते हुए शर्म महसूस हो रही है कि असल में उस अवॉर्ड को खरीदा था। मैं कितना भोला था। पीआरओ तारकनाथ गांधी थे जिन्होंने मुझे कहा, “सर तीस हजार दे दो तो आप को मैं अवॉर्ड दिला दूंगा।“ मैं कोई जोड़-तोड़ करने वाला नहीं हूं लेकिन मैं स्वीकार करता हूं कि मैंने बिना सोचे उसे वो पैसे दे दिए।‘

हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में ऋषि कपूर कहते हैं कि ‘यह एक गलती थी और मैंने अपनी किताब में इसका जिक्र किया लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसके बाद मैंने सभी अवॉर्ड खरीदें हों।‘