वर्ष 2024 के तृतीय नेशनल लोक अदालत में कुल 133162 मामले निराकृत तथा अवार्ड राशि 304181959 रूपए रही
दुर्ग। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3. व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड, श्रम न्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।
नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैलचित्र पर डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10.30 बजे किया गया। शुभारंभ कार्यक्रम में श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, एवं श्री रविशंकर सिंह, सचिव जिला अधिवक्ता संघ एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक उपस्थित रहे।
नेशनल लोक अदालत में कुल 34 खण्डपीठ का गठन किया गया। परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 03 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 26, तहसील न्यायालय भिलाई-3 में 01 खण्डपीठ तहसील पाटन हेतु 01 खण्डपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।
उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक सिविल, परिवार, मोटर दुर्घटना दावा, से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग / वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया। लोक अदालत में दोनों पक्षकारों के आपसी राजीनामा से प्रकरण का शीघ्र निराकरण होता है, इसमें न तो किसी की हार होती है न ही किसी की जीत होती है।
आज आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य जॉच / परीक्षण हेतु एक दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें उक्त विभाग/कार्यालय की ओर से डॉ. हरमीत सिंह, चिकित्सा अधिकारी, प्रवीण कुमार कुर्रे फार्मासिस्ट ग्रेड-02, खेमलाल कुर्रे, स्टाफनर्स, गौकरण साहू एम.पी. डब्ल्यू तथा राजू यादव वार्ड ब्याय के द्वारा सेवाएँ प्रदान की गयी। उक्त आयोजित निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविरष् में बड़ी संख्या में आमजनों के द्वारा अपने स्वास्थ्य की जांच / परीक्षण कराया गया और बहुतायत संख्या में लोग लाभांवित हुए हैं।
वर्ष 2024 के इस तृतीय नेशनल लोक अदालत में कुल 8333 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 124829 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 304181959 रूपये रहा। इसी कम में लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 526 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 70 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 103 चेक अनादरण के 382 मामले, व्यवहार वाद के 58 मामलें, श्रम न्यायालय के कुल 17 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग के कुल 1056 मामलें निराकृत हुए।
उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे -
विडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से भारत से 11600 किलोमीटर दूर कनाडा में निवास करने वाले व्यक्ति से हुआ राजीनामा मामला खंडपीठ कमांक 13 के पीठासीन अधिकारी श्री विवेक नेताम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय का है। दांडिक प्रकरण कमांक 3469/2023 शासन विरूद्ध रूपेश कुमार गुप्ता, धारा 420 भा.द.सं. के प्रकरण में पुलिस थाना-भिलाई नगर जिला दुर्ग (छ.ग.) द्वारा अपराध कमांक 370/2022 में प्रार्थी संजीव सक्सेना एवं अन्य बारह पीड़ितगण द्वारा आरोपी रूपेश कुमार गुप्ता के विरूद्ध धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई गयी थी। थाना भिलाई नगर द्वारा संपूर्ण विवेचना पश्चात् माननीय न्यायालय श्री विवेक नेताम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, दुर्ग के समक्ष आरोपी रूपेश कुमार गुप्ता के विरूद्ध धारा 420 भा.द.सं. के अंतर्गत अभियोग पत्र पेश किया गया था। माननीय न्यायालय आरोपी रूपेश कुमार गुप्ता के विरूद्ध धारा 420 भा.दं.सं. के तहत अपराध विरचित किया गया था, जिसके पश्चात प्रकरण के प्रार्थी एवं अन्य 11 पीडितगण द्वारा छ०ग० राज्य एवं भारत में वर्तमान में निवासरत होने के कारण न्यायालय में स्वतः उपस्थित होकर आरोपी रूपेश कुमार गुप्ता के साथ राजीनामा किया गया था, किन्तु प्रकरण के एक पीड़ित प्रदीप सिंह लोहिया, आत्मज टीएस लोहिया वर्तमान में ऑरेंजविले, ओंटारियो, कनाडा में निवासरत होने से नेशनल लोक अदालत दिनांक 21.09.2024 को स्वतः उपस्थित होने में असमर्थ होने से पीडित प्रदीप सिंह लोहिया को विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय के समक्ष उपस्थित कराया गया। न्यायालय द्वारा प्रदीप सिंह लोहिया को समझाईश दिये जाने पर उसने बिना डर दबाव के आरोपी रूपेश कुमार गुप्ता से राजीनामा करना व्यक्त किया गया।
धारा 420 भा.दं.सं. का अपराध न्यायालय की अनुमति से राजीनामा योग्य
अपराध होने से न्यायालय द्वारा उक्त अपराध का शमन किया गया। इस प्रकार उक्त प्रकरण में पीड़ित प्रदीप सिंह लोहिया के कनाडा देश में निवासरत होने के बावजूद वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रकरण का निराकरण माननीय न्यायालय श्री विवेक नेताम न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के द्वारा नेशनल लोक अदालत में किया गया। जिससे प्रार्थी को न्यायालय तक आने की आवश्यकता नहीं पड़ी और न्यायालय द्वारा माननीय सर्वाेच्च्च न्यायालय के द्वारा ई-कोर्ट मिशन के अंतर्गत प्रदत्त कम्प्यूटर एवं तकनीकों का पूर्ण रूप से प्रयोग करते हुए उक्त मिशन की सफलता दर्शाता है।
प्रार्थी की मृत्यु पश्चात उसकी पत्नी ने माफ कर किया प्रकरण समाप्त मामला खंडपीठ कमांक 19 के पीठासीन अधिकारी श्री रवि कुमार कश्यप, तृतीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है। उक्त प्रकरण में अभियुक्तगण के द्वारा प्रार्थी के साथ मारपीट एवं गाली गलौच किया गया था। प्रकरण के लंबन काल में प्रार्थी की मृत्यु हो गई थी। न्यायालय द्वारा प्रार्थी के विधिक वारिसान (पत्नी) को समझाईश देने पर उसके द्वारा अभियुक्तगण को माफ करते हुए प्रकरण में राजीनामा कर लिया गया। जिससे उनके मध्य फिर से मधुर संबंध स्थापित हो गये और राजीनामा के आधार पर प्रकरण समाप्त हो जाने से उभयपक्षकार न्यायपालिका की प्रक्रिया से बहुत खुश हुए।
बोरवेल से गंदा पानी बहने को लेकर चल रहे विवाद का हुआ निपटारा मामला खंडपीठ कमांक 20 के पीठासीन अधिकारी सुश्री पायल टोप्नो, षष्ठदश व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ श्रेणी दुर्ग (छ०ग०) के न्यायालय का है। उभयपक्ष जो पड़ोसी हैं, के मध्य दिनांक 24 जनवरी 2024 को बोरवेल से गंदा पानी बहने की बात को लेकर विवाद हो गया था, जिसके संबंध में प्रार्थिया द्वारा थाना- नंदिनी नगर, जिला दुर्ग (छ.ग.) में रिपोर्ट दर्ज करायी गई थी। प्रकरण जनवरी 2024 से लंबित है, जिसमें प्रार्थिया को राजीनामा किये जाने हेतु बुलाया गया एवं समझाईश पश्चात् प्रार्थिया द्वारा बिना किसी डर दबाव, लोभ लालच के राजीनामा किया गया, जिससे प्रकरण राजीनामा के आधार पर नेशनल लोक अदालत के माध्यम से निराकृत किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पड़ोसियों के मध्य पुनः मधुर संबंध स्थापित हुए तथा आठ माह के भीतर ही तीव्रता से दांडिक प्रकरण का निराकरण भी किया गया। जिससे माननीय उच्च न्यायालय के सिद्धांत- जस्टिल डिलेड इज जस्टिस डिनाईड की अवहेलना न होते हुए आठ माह में प्रकरण का निराकरण लोक अदालत के माध्यम से किया गया।
चेक बाउंस का 11 वर्ष पुराना प्रकरण हुआ समाप्त रू मामला खंडपीठ कमांक 09 के पीठासीन अधिकारी श्री जनार्दन खरे, प्रथम व्यवहार न्यायाधीश, वरिष्ठ श्रेणी दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय का है।प्रकरण कमांक 4370/2013 आसकरण विरूद्ध अजय चौहान को संस्थित दिनांक 10.05.2013 को न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जिसके आधार पर उक्त प्रकरण में अभियुक्त अजय चौहान के विरूद्ध धारा 138 परकाम्य लिखत अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। उक्त प्रकरण का विभिन्न न्यायालय में विचार किया गया तथा प्रकरण दिनांक 24 जून 2024 को न्यायालय जनार्दन खरे, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय में रखा गया। उक्त दिनांक को प्रकरण परिवादी साक्ष्य के स्तर पर था। उक्त प्रकरण में राजीनामा होने के लिये प्रयास किया गया तथा राजीनामा हेतु दिनांक 21 सितम्बर 2024 को नेशनल लोक अदालत खंडपीठ कमांक 09 में रखा गया। प्रकरण में परिवादी का अभियुक्त अजय चौहान के साथ राजीनामा होने पर, कुल 11 वर्षों से लंबित चले आ रहे प्रकरण का हंसी-खुशी निराकरण किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से ग्यारह वर्ष से लंबित प्रकरण का निराकरण चंद मिनटों में हो गया।
दाम्पत्य जीवन हुआ फिर से खुशहाल मामला खंडपीठ कमांक 03 के पीठासीन अधिकारी सुश्री रंजू राउतराय, तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय का है। आवेदिका द्वारा धारा 125 द.प्र.सं. अंतर्गत आवेदन न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था। पक्षकारो के मध्य सुलहवार्ता कर सुलह का प्रयास किया गया। न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने पर पक्षकार साथ रहकर अपना दाम्पत्य जीवन निर्वहन करने हेतु सहमत हुए। पक्षकारों द्वारा सुलह हो जाने पर प्रकरण की कार्यवाही समाप्त किये जाने का निवेदन करने का प्रकरण समाप्त कराया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से एक बिखरे हुए परिवार को फिर से एक किया गया, जिससे लोक अदालत का सिद्धांत लोक अदालत का सार, न किसी की जीत, न किसी की हारष् पूर्ण हुई।
आपसी राजीनामा के आधार पर फिर से एक हुए पति-पत्नीरू मामला खंडपीठ कमांक 16 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती श्वेता पटेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय का है। न्यायालय में लंबित आपराधिक प्रकरण क्रमांक 6848/2023 शासन विरूद्ध ईमरान खान में अभियुक्त के विरूद्ध उनकी पत्नी श्रीमती नीलम राजपूत की रिपोर्ट पर थाना दुर्ग में अपराध अंतर्गत धारा- 294, 506, 323 भा.द.सं. पंजीबद्ध किया गया था, कि अभियुक्त प्रार्थिया श्रीमती नीलम राजपूत का पति है तथा अभियुक्त प्रार्थिया से गाली-गलौच व जान से मारने की धमकी एवं मारपीट किया करता था। उक्त संबंध में इस न्यायालय द्वारा प्रीसीटिंग कर समझाईश दी गई थी जिसके फलस्वरूप उभयपक्षों के मध्य पुनः मधुर संबंध स्थापित हुए और वर्तमान में प्रार्थिया अभियुक्त के साथ निवासरत है। प्रार्थिया श्रीमती नीलम राजपूत ने उक्त प्रकरण में बिना किसी डर दबाव एवं लालच के स्वेच्छया अपने पति से राजीनामा करते हुए प्रकरण समाप्त किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से एक टूटा हुआ परिवार फिर से एक होकर वापस अपने घर लौट गया।
वर्ष 2017 से लंबित चल रहा 08 वर्ष पुराना विवाद समाप्त कर उभयपक्षों के मध्य स्थापित हुआ मधुर संबंधरू मामला खंडपीठ कमांक 12 के पीठासीन अधिकारी श्री भगवान दास पनिका, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी दुर्ग का है। प्रकरण से संबंधित उभयपक्षों के मध्य दिनांक 06.05. 2017 को वाद-विवाद हो गया था। जिसके संबंध में प्रार्थी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराया गया था। प्रकरणप्रकरण कमांक 4370/2013 आसकरण विरूद्ध अजय चौहान को संस्थित दिनांक 10 मई 2013 को न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया था, जिसके आधार पर उक्त प्रकरण में अभियुक्त अजय चौहान के विरूद्ध धारा 138 परकाम्य लिखत अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया। उक्त प्रकरण का विभिन्न न्यायालय में विचार किया गया तथा प्रकरण दिनांक 24 जून 2024 को न्यायालय जनार्दन खरे, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग (छ.ग.) के न्यायालय में रखा गया। उक्त दिनांक को प्रकरण परिवादी साक्ष्य के स्तर पर था। उक्त प्रकरण में राजीनामा होने के लिये प्रयास किया गया तथा राजीनामा हेतु दिनांक 21 सितम्बर 2024 को नेशनल लोक अदालत खंडपीठ कमांक 09 में रखा गया। प्रकरण में परिवादी का अभियुक्त अजय चौहान के साथ राजीनामा होने पर, कुल 11 वर्षों से लंबित चले आ रहे प्रकरण का हंसी-खुशी निराकरण किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से ग्यारह वर्ष से लंबित प्रकरण का निराकरण चंद मिनटों में हो गया।
लोक अदालत के प्रयास से पति-पत्नी फिर से हुए एक मामला खंडपीठ कमांक 01 के पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, दुर्ग (छ०ग०) के न्यायालय का है। आवेदिका ने स्वयं तथा अवयस्क पुत्र कबीर भारती के लिए अनावेदक के विरूद्ध भरण-पोषण राशि दिलाए जाने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया गया। आवेदिका का विवाह अनावेदक के साथ दिनांक 22 अप्रैल 2019 को संपन्न हुआ। विवाह के बाद आवेदिका एवं अनावेदक के मध्य आपस में छोटी-छोटी बातों पर लडाई झगड़ा होने लगा और दहेज के लिए आवेदिका को प्रताडित किया जाने लगा, उनके दाम्पत्य संसर्ग से दिनांक 09 नवम्बर 2020 को एक पुत्र कबीर का जन्म हुआ है. जो वर्तमान में आवेदिका के साथ रहता है। मार्च 2022 को अनावेदक ने आवेदकगण को एक लाख रूपये लेकर आना तभी ससुराल में आने दिया जायेगा कहकर मायके छोड़ दिया। आवेदिका द्वारा पुलिस में शिकायत की गई। आवेदिका की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध न्यायालय में भरण-पोषण का मामला प्रस्तुत किया।
अनावेदक ने आवेदिका के विरूद्ध दिनांक 26 सितम्बर 2023 को दाम्पत्य संबंधो की पुनर्स्थापना का मामला प्रस्तुत किया है। पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भुलाकर साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीय करने को तैयार हो गये। इस प्रकार सुलहवार्ता सफल रही। सुलह समझाईश पश्चात् आवेदिका एवं अनावेदक अपने पुत्र के साथ राजीखुशी से घर चले गये और आवेदिका तथा अनावेदक ने अपने-अपने मामले को समाप्त करा लिया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से उज्जवल भविष्य की कामनाओ सहित उभयपक्षकारों को हसी-खुशी घर वापस भेजा गया।