फीस नही पटाने वाले बच्चों को शिक्षा नही...

फीस नही पटाने वाले बच्चों को शिक्षा नही...
दक्षिणापथ. कोरोना महामारी के दौर में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो इसके असर से बच पाया हो. इसने सेहत से लेकर जेब तक हर मोर्चे पर चोट पहुंचाई है. लेकिन लोग धीरे-धीरे इसका मुकाबला करने के तरीके अपना रहे हैं. जिस तरह लोग सेहत को लेकर रिस्क नहीं लेना चाहते, उसी तरह वो एक और इम्यूनिटी तैयार करने पर ध्यान देने लगे हैं, और वो है फाइनैंशल इम्यूनिटी. चिंता की 3 सबसे बड़ी वजहें कोरोना का दौर शुरू हुए करीब दो साल होने जा रहे हैं, लेकिन इसकी वजह से पटरी से उतरी गाड़ी अब तक पूरी तरह लाइन पर नहीं आ पाई है. महामारी के इस दौर में लोगों की चिंता की सबसे बड़ी वजह महंगा इलाज और नौकरी को लेकर अनिश्चितता रही. एसबीआई लाइफ के फाइनैंशियल इम्यूनिटी सर्वे 2.0 के मुताबिक,
  • 59% भारतीयों को दवा और इलाज के बढ़ते खर्च की चिंता रही
  • 59% लोग नौकरी या कारोबार की अनिश्चितता में घिरे रहे
  • 58% लोगों को अपने और परिवार की सेहत की चिंता सताती रही
  • आमदनी घटी तो बीमा पर भरोसा बढ़ा
ये सर्वे देश के 28 शहरों में 21 से 45 साल के महिला-पुरुषों के साथ किया गया. इस दौरान 5000 लोगों से सवाल पूछे गए. इसके अनुसार, मार्च 2020 के बाद करीब 79% भारतीयों को आमदनी में कटौती का सामना करना पड़ा था. इनमें से 35% तो ऐसे हैं, जिनकी कमाई अब तक पहले के स्तर पर नहीं आ पाई है. ऐसे खुशनसीब महज 7% ही रहे, जिनकी आमदनी इस दौरान बढ़ी. खाली जेब को देखते हुए लोगों ने गैरजरूरी चीजों पर खर्च कम करके उन पर पैसा लगाया, जो कोरोना से उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकें. लोगों ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर ज्यादा ध्यान दिया. पुरानी बीमा पॉलिसियों को रिन्यू कराया. जिनके पास बीमा नहीं था, उन्होंने नई पॉलिसियां खरीदीं. सर्वे की मानें तो लोगों ने अपनी 50% इनकम बचत, निवेश और इंश्योरेंस पर लगाई. ऐसे करीब 56% भारतीय रहे, जिन्होंने महामारी को देखते हुए इमरजेंसी फंड का इंतजाम करने को तवज्जो दी, और 53% ने इंश्योरेंस का रास्ता अपनाया. इंश्योरेंस की अहमियत समझ में आई कोरोना काल में अनिश्चितता काफी बढ़ गई है. सेहत से साथ-साथ लोगों को आर्थिक सेहत बिगड़ने का डर ज्यादा सताने लगा है. अस्पतालों में इलाज के खर्च का बिल देख वैसे ही लोगों का दिल बैठ जाता है. ऐसे में वो कोई ऐसा इंतजाम चाहते हैं कि जरूरत के वक्त उन्हें कहीं हाथ न फैलाना पड़े. इसके लिए उन्हें इंश्योरेंस एक मजबूत विकल्प नजर आ रहा है. कुछ लोग पहले इसे एक गैरजरूरी चीज मानकर नजरअंदाज कर देते थे, लेकिन अब इसे एक भरोसेमंद साथी की तरह देख रहे हैं जो मुसीबत के वक्त उनकी जेब पर बोझ नहीं पड़ने देता. सर्वे से सामने आया कि 57% लोग अब मानने लगे हैं कि फाइनैंशल इम्यूनिटी भी बेहद जरूरी है. जनवरी 2021 के बाद हर 4 में से 3 भारतीयों ने बचत और निवेश को तवज्जो दी. लगभग 50% लोगों ने इन चीजों के अलावा इंश्योरेंस खरीदा. लोगों को इंश्योरेंस कवर बढ़ाने से भी गुरेज नहीं रहा. सर्वे बताता है कि 78% लोगों को महसूस हुआ कि लाइफ इंश्योरेंस भी जरूरी है. यह इस बात से भी जाहिर हुआ कि मार्च 2020 के बाद 46% लोग ऐसे रहे जिन्होंने कोविड के दौरान पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस खरीदा. अगर जीवन बीमा की बात करें तो इस दौर में इसे खरीदने वालों की तादाद 44% रही. लेकिन इसके बावजूद औसतन इंश्योरेंस कवरेज लोगों की सालाना इनकम का करीब 3.8 गुना ही रहा, जिसे 10 से 25 गुना रखने का सुझाव एक्सपर्ट्स देते रहे हैं. देश इस वक्त कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में है लेकिन लोगों को समझ आ गया है कि जिंदगी की गाड़ी फिलहाल कुछ समय तक कोरोना के साथ-साथ चलनी है. इसलिए अब वो इससे डरने के बजाय इसका मुकाबला करने की तरफ बढ़ रहे हैं. लोगों को यकीन है कि कोविड से निपटने के लिए अब वो पहले के मुकाबले ज्यादा तैयार हैं. एसबीआई लाइफ के सर्वे में 80% लोगों ने पहले से ज्यादा फिजिकल इम्यूनिटी होने की बात कही. उन्होंने बताया कि वो अब अपने खाने-पीने पर ज्यादा ध्यान देते हैं. हेल्दी भोजन करते हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें लेते हैं. तेजी से हुए वैक्सीनेशन ने भी लोगों में भरोसा बढ़ाया है. लोगों को लगता है कि अगले कुछ महीने तक तीसरी लहर की वजह से हालात मुश्किल होंगे, लेकिन देश इससे पार पा लेगा, इसका भी उन्हें यकीन है.