हर परिस्थिति में अपने मन की स्थिति को श्रेष्ठ रखना है - ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी

हर परिस्थिति में अपने मन की स्थिति को श्रेष्ठ रखना है - ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी
RO. No. 13028/147

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- ब्रह्माकुमारीज "आनंद सरोवर" बघेरा में एक दिवसीय योग शिविर का आयोजन

  दुर्ग।   प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बघेरा स्थित "आनंद सरोवर " के विशाल सभागार में बारिश की रिमझिम फुहारों के मौसम में तन की शीतलता के साथ मन को भी शीतल शांत व शक्तिशाली बनाने के लिए वरिष्ठ राजयोगी शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी (इन्दौर ) के सानिध्य में एक दिवसीय ज्ञान-योग शिविर का आयोजन हुआ । जिसका विषय था कि "अब घर जाना है " 
     योग शिविर का शुभारंभ परमात्म पिता की याद में आए हुए अतिथियों व ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी, नवीन अग्रवाल (सीता ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज), सुमन अग्रवाल, सुरेंद्र रुंगटा (समाजसेवी), किरण रुँगटा, ब्रह्माकुमारी रीटा बहन (संचालिका) ब्रह्माकुमारीज दुर्ग, ब्रह्माकुमारी रूपाली बहन, ब्रह्माकुमारी चैतन्य प्रभा बहन तथा बालोद, अर्जुंदा ,गुंडरदेही ,साजा ,देवकर, धमघा व दुर्ग के सभी शहरी व ग्रामीण अंचल से लगभग 2700 भाई-बहनें इस शिविर में सम्मिलित होकर इसका लाभ लिये । 

    स्वागत भाषण में ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने परमात्मा का, अनीता दीदी का आए हुए अतिथियों व भिन्न-भिन्न स्थानों से आये हुए भाई बहनों का अपने मधुर वचनों से स्वागत किया साथ ही अनीता दीदी के साथ रहने का अपना अनुभव सुनाते हुए बताया कि दीदी ने हमें सिखाया कि आदर्श ब्रह्माकुमारी का जीवन क्या होता है? लोगों की सेवा करना सिखाया । हमें सिखाया जब हम दीदी के साथ सेवा में जाते थे विशिष्ट व्यक्तियों से मिलते थे तो हमें दीदी ने कहा कि रीटा बहन जब हम विशिष्ट व्यक्तियों से मिलते रहते हैं तब आप उन आत्माओं को भगवान की शक्ति दिया करो तो वे आत्माएं परमात्मा के समीप आयेंगी ।
        योग शिविर में आए हुए सभी भाई-बहनों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी ने बताया कि जैसा की इस योग-तपस्या शिविर का विषय है "अब घर जाना है " तो हम सभी को यह ज्ञान तो है कि हम सभी देह नहीं इस देह के माध्यम से कर्म करने वाली चैतन्य आत्माएं हैं जैसा कि इस दुनिया के लिए कहा जाता है यह तेरा है ना मेरा है यह दुनिया रैन बसेरा है तो हम सभी आत्माएं इस सृष्टि रंगमंच पर भिन्न-भिन्न नाम रूप से अपना-अपना पार्ट बजाने के लिए उपस्थित हुए हैं । हम सभी मनुष्य आत्माओं का वास्तविक घर इस पांच तत्वों की दुनिया से के पार परमधाम है । जब हम आत्माएं इस सृष्टि रंगमंच पर आई थी तो यह दुनिया संपूर्ण सुख शांतिमय थी वह हम सभी आत्माएं संपूर्ण सतोप्रधान अवस्था में थी । कालांतर में जन्म मरण के चक्र में आते भिन्न-भिन्न लोगों के साथ संबंध में आते हुए हम अपने वास्तविक स्वरूप को भूल गए हैं व अनेक आत्माओं के साथ हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब-किताब जुड़ चुका है अब उन सभी हिसाब किताब या कहें कार्मिक अकाउंट को परमात्मा की याद से चुक्त कर अपनी सतोप्रधान अवस्था को प्राप्त करना है तभी हम अपने घर जा सकेंगे ।

  आगे आपने कहा कि भगवान दाता-विधाता-वरदाता है । वह विधाता विधि के विधान में बंधा हुआ है । भगवान कहते हैं आप एक कदम हिम्मत का बढ़ाओ तो हजार गुना मदद तुम बच्चों को प्राप्त होगा व तुम मेरे समान बंधन मुक्त बन अपने घर चले जाएंगे । हमें अपनी अवस्था को श्रेष्ठ बनाना है क्योंकि जीवन में अंत तक बहुत सारी बातें तो आएंगी ही  और परस्थिति तो आएंगी ही कारण हमने देखा तो शक्ति खत्म यदि हमने श्रेष्ठ संकल्प किया समस्या आएगी बातें आएंगी । मुझे इस परिस्थिति में अपने विचार को कैसे रखना है ? अपनी स्थिति को कैसे रखना है व मेरे हाथ में क्या है ? यह देखना है और किसी भी परिस्थितियों में मुझे घबराना नहीं है क्योंकि परमात्मा मेरा साथी है । मुझे हर परिस्थिति में अपने आप को संपन्न व संपूर्ण बनाना है । हर परिस्थिति में अपनी स्थिति को श्रेष्ठ बनाना है।
इसके लिए मैं जितना हम अपनी वास्तविक आत्मिक स्वरूप का अभ्यास करेंगे तो हमारी स्थिति श्रेष्ठ बनती जाएगी ।
  कार्यक्रम के समापन सत्र में आये हुए सभी भाई-बहनों को ईश्वरीय वरदान व ईश्वरीय प्रसाद दिया गया व सभी ने श्रेष्ठ व शुभ संकल्प किया कि सभी परिस्थिति को पार करते हुए परमात्मा की याद से हम अपने शुभ व श्रेष्ठ लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त करेंगे । अपनी काव्यात्मक शैली में मंच संचालन करते हुए ब्रह्माकुमारी रुपाली बहन ने इस योग शिविर की शोभा बढ़ा दी ।