शिवनाथ के एनिकट में डूब जायेगा चंगोरी मेला का अस्तित्व..!

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RO No.12822/158

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विकास के बाढ़ में डूब जायेगा प्राचीन शिवलिंग 

दुर्ग। पंरपरा संस्कृति और हिंदू अस्तित्वों की रक्षा का ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र और प्रदेश सरकार दुर्ग के पास शिवनाथ तांदुला संगम पर सालों से चली आ रही चंगोरी मेला की पंरपरा को पानी में ही डुबाने वाली है।

उल्लेखनीय है कि सन 60  के दशक में तीन तरफ से शिवनाथ नदी से घिरे चंगोरी गांव के निवासी स्व भीषम लाल देशमुख के नेतृत्व में समीपस्थ गांव भरदा के दाऊ उदेराम भारदीय साहित आलबरस, खाड़ा आदि गांवों के  अन्य मित्रों के साथ प्रसिद्ध शिवनाथ तांदुला संगम पर शिवलिंग की स्थापना की थी।
स्थापना के तुरंत बाद आई भीषण बाढ़ से मंदिर के बगल से सैलाब ने नई धारा बना ली और यह मंदिर बीच टापू में आ गया । जल्द शिवलिंग वाला चबूतरा बीच नदी में समा गया।

लेकिन कभी भी वह पूर्णतया न तो डूबा और  अपने स्थान से इंच भर भी नही सरका। 
उसी समय इसे नदी से उठाकर किनारे लाने की कई कोशिशें हुईं पर किसी अज्ञात कारण से संभव ही नही हुआ।
हर शिवरात्रि पर स्थापना के दिन से भरने वाले वाले यहां मेले ने तभी से बड़ा रूप ले लिया। दुर्ग के समीप हर महाशिवरात्रि के दिन भरने वाले ऐतिहासिक और इस बड़े मेले में चंगोरी मेला की गिनती और भारी प्रसिद्धि है। सत्तर साल बाद भी यहां भीड़ हर साल बढ़ते जाती है।

भरदा बगीचा में मन्दिर समिति ने उसी चबूतरे का जीर्णोधार करा कर मेले का अस्तित्व और शिवलिंग दर्शन को और भी सुलभ बनावाने की भरसक कोशिशें की है , लेकिन मूल मंदिर आज भी उसी जगह बीच नदी में विद्यमान है।

पहले से कम ऊंचाई पर बने समीप के चंदखुरी एनिकट की ऊंचाई बढ़ाने की खबर से चंगोरी, भरदा सहित आसपास के ग्रामीण  चिंतित हैं और जनप्रतिनिधियों से मंदिर के अस्तित्व और पहचान इस ऐतिहासिक शिवलिंग के चबूतरे को बचाने की पहल करने की अपील की है।
महाशिवरात्रि के समय पानी कम होने से दर्शनार्थी नाव से जाकर या तैरकर इस प्रसिद्ध शिवलिंग की पूजा करते हैं वहीं भरदा बगीचा में पूजा अर्चना दर्शन की अभिलाषा लेकर अपनी धार्मिक भावना से साल भर लोग यहां पहुचते हैं ।
ऐसे ही आसपास के गांव, स्व भीषम देशमुख से जुड़े पारिवारिक समूह और स्थानीय जागरूक नागरिकों ने पिछले दिनो, मेला स्थल भरदा बगीचा पर इकट्ठा होकर , बच्चों महिलाओं ने कमर तक पानी पार कर बीच नदी में स्थित शिवलिंग की पूजा की। मंदिर निर्माण से जुड़े और बाद में स्थानीय नागरिकों के प्रयासों को याद किया और संकल्प भी लिया कि प्रशासन को इस संबंध में सार्थक निर्णय की अपील की जाए।


समिति से जुड़े चंगोरी गांव के  युवा तुलसी राम देशमुख ने कहा कि एनिकट की ऊंचाई बढ़ाने से आदेश और घोषणा से संदेह है कि पूरे संगम स्थल पर साल भर  एनिकट का बैक वाटर भरा रहेगा। जिससे वह शिवलिंग शिवरात्रि पर भी दर्शन के लिए उपलब्ध नही हो पायेगा।
उनका कहना है कि हम पानी के भराव और विकास के विरोधी नही हैं । लेकिन डूब में आने वाले अन्य तीर्थ स्थानों,  स्मारकों की तरह पुल या मचान बना कर उसी स्थल को संवार कर और उसकी ऐतिहासिकता को बचा कर मेले के उस अस्तित्व को बनाए रखा जा सकता है। इन्होंने इस संबंध में स्थानीय मिडिया और जागरूक धर्म प्रेमी, संस्थाओं से भी हर संभव इस संबंध में कोशिश करने की  अपील की है।

इस अवसर पर स्थापना से जुड़े परिवार के सदस्यों, लाखेश्वर देशमुख प्रशांत, संतोष एवं मनहरण देशमुख दानेश्वर प्रसाद, टेसू राम, कोमल प्रसाद 
सहित स्थानीय ग्रामीण जन भी उपस्थित थे।